आखि‍र मरीज पर कैसे काम करती है कोरोना वैक्‍सीन?

नवीन रांगियाल
पूरी दुनिया को कोरोना वैक्‍सीन का इंतजार है। एक यही वो दवा है जिससे कोरोना से लोगों को निजात मिलेगी और दुनिया पटरी पर लौटेगी, लेकिन इसके बारे में यह जानना भी जरुरी है कि आखि‍र ये मरीज पर कैसे काम करेगी और कैसे कोरोना वायरस से मरीज को ठीक करेगी।

आइए जानते हैं आखि‍र कैसे काम करेगी कोराना वैक्‍सीन ?

दरअसल सबसे पहले वायरस के जनेटिक कोड से पता लगाया जाता है कि कोशिकाओं से क्‍या विकसित होगा। इसके बाद उसे लिपिड में कोट किया जाता है, जिससे कि वो शरीर की कोशि‍काओं में आसानी से प्रवेश कर सके।
वैक्‍सीन कोशि‍काओं में एंट्री करती है और उन्‍हें कोरोना वायरस स्‍पाइक प्रोटीन पैदा करने के लिए प्रेरित करती है।


यह रोग प्रति‍रोधी प्रणाली को एंटीबॉडी पैदा करने और टी-सेल को एक्‍ट‍िव करने के संकेत देती है, जिससे संक्रमित कोशि‍काओं को खत्‍म किया जा सके। इस तरह मरीज कोरोना वायरस से लडता है और एंटी बॉडी और टी-सेल संक्रमण को खत्‍म करती है।

तो इस तरह वैक्‍सीन को मरीज के शरीर में प्रवेश करवाकर उसे कोरोना वायरस से संक्रमण से लडने के लिए तैयार किया जाएगा।
ALSO READ: क्‍या तैयार हो रही कोरोना वैक्‍सीन से कोई खतरा भी है?
 
किसने किया था टीके का अविष्‍कार?
बता दें कि इससे पहले भी भारत और कई देशों में वैक्‍सीन या टीकाकरण को इस तरह की संक्रामक बीमारियों के लिए बहुत ही कारगर माना गया है। प्‍लेग हेजा चेचक जैसी बीमारियों के लिए टीके का ही अव‍िष्‍कार किया गया था।
इतिहास में प्लेग, चेचक, हैजा, टाइफाइड, टिटनेस, रेबीज, टीबी, पोलियो जैसी कई महामारी फैली थीं, जिनकी वजह से लाखों-करोड़ों लोगों की जान गईं थी। अध्ययन और शोध बताते हैं कि किसी भी संक्रामक बीमारी की रोकथाम के लिए टीकाकरण बहुत ही प्रभावी और कारगर उपाय है।

चेचक, पोलियो और टिटनस जैसे रोगों से निजात टीकाकरण से ही मिली थी। चेचक दुनिया की पहली बीमारी थी, जिसके टीके की खोज हुई। 1976 में अंग्रेज चिकित्सक एडवर्ड जेनर ने चेचक के टीके का आविष्कार किया।
एडवर्ड जेनर एक प्रसिद्ध डॉक्‍टर थे। दुनिया में इनका नाम इसलिए भी प्रसिद्ध है कि क्‍योंकि इन्‍होंने 'चेचक' के टीके का आविष्कार किया था। एडवर्ड जेनर के इस आविष्कार से आज करोड़ों लोग चेचक जैसी घातक बीमारी से ठीक हो रहे हैं।

रेबीज भी एक ऐसी बीमारी है, जिसका संक्रमण जानलेवा होता है। प्रसिद्ध फ्रेंच वैज्ञानिक लुई पाश्चर ने रेबीज के टीके का सफल परीक्षण किया। उनकी इस खोज ने मेडिकल की दुनिया में क्रांति ला दी और मानवता को एक बड़े संकट से बचा लिया था। उन्होंने डिप्थेरिया, टिटनेस, एंथ्रेक्स, हैजा, प्लेग, टाइफाइड, टीबी समेत कई बीमारियों के लिए टीके विकसित किए थे।

सम्बंधित जानकारी

Show comments

जरूर पढ़ें

सर्वे में बड़ा खुलासा, 82 फीसदी दिव्यांगों का बीमा नहीं, 42% आयुष्मान योजना से अनभिज्ञ

नीतीश कुमार ने किया वादा, भाजपा से फिर कभी नहीं तोड़ेंगे नाता

म्यांमार में मुश्किलें कम नहीं, भूकंप की त्रासदी से उबरने का संघर्ष, विद्रोहियों से भी जंग

संघ मुख्यालय पहुंचने वाले दूसरे पीएम बने मोदी, क्यों खास है यह दौरा?

म्यांमार की मदद के लिए भारत ने चलाया 'ऑपरेशन ब्रह्मा', जानिए क्या-क्या भेजा

सभी देखें

नवीनतम

Eid Clash : मेरठ, नूंह से लेकर मुरादाबाद और सहारनपुर तक, ईद पर बवाल और तनातनी

औरंगजेब के मकबरे की तस्वीर के साथ आपत्तिजनक टिप्पणी करने वाला व्यक्ति हिरासत में

क्या नेपाल भी सैन्य शासन की ओर बढ़ रहा है?

भोपाल में ईद की नमाज के दौरान फिलिस्तीन के समर्थन में लहराए पोस्टर, वक्फ बिल के विरोध में बांधी काली पट्टी

दिल्ली में LPG सिलेंडर से हुआ गैस रिसाव, आग लगने से नाबालिग भाई बहन की मौत

अगला लेख