Good News : फेफड़े में हो सकेगा Coronavirus का खात्मा, वैज्ञानिकों ने खोजा इलाज का नया हथियार

Webdunia
मंगलवार, 25 मई 2021 (09:55 IST)
दुनिया में कोरोनावायरस से हाहाकार मचा हुआ है। कई वैक्सीन आज चुकी है और अभी रिसर्च जारी है। जानलेवा वायरस सबसे ज्यादा इंसान के फेफड़ों में पहुंचकर अधिक नुकसान पहुंचाता है। इससे वायरस से मौत की आशंका सबसे ज्यादा हो जाती है। लेकिन अब वैज्ञानिकों ने वह थैरेपी की खोज कर ली है जिससे इस वायरस को इंसान के फेफड़ों में खत्म किया जा सकेगा। 
 
ऑस्ट्रेलिया की ग्रिफिथ यूनिवर्सिटी की एक टीम ने एक ऐसी एंटीवायरल थेरेपी ईजाद की जो फेफड़ों में मौजूद कोविड-19 के कणों को 99.9 प्रतिशत तक खत्म कर देती है। इस थेरेपी को कोरोना से लड़ने में एक बड़ा हथियार माना जा रहा है। 
ALSO READ: Bharat Biotech ने Covaxin को सूचीबद्ध कराने के लिए WHO को सौंपे 90 फीसदी दस्तावेज
ग्रिफिथ यूनिवर्सिटी में ऑस्ट्रेलिया के ‘मेंजीज हेल्थ इंस्टीट्यूट क्वींसलैंड’ (MHIQ) की अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों की टीम ने इस एंटीवायरल थेरेपी को तैयार में कामयाबी पाई है। ये टेक्नोलॉजी कोविड के कणों का पता लगाने और उन्हें खत्म करने के लिए एक गर्मी चाहने वाली मिसाइल की तरह काम करती है। MHIQ में सह-प्रमुख रिसर्चर प्रोफेसर निगेल मैकमिलन ने कहा कि इस थेरेपी से वायरस के दोबारा बनने पर रोक लगेगी और ये दुनियाभर में कोरोना से होने वाली मौतों को भी खत्म कर सकती है। 
 
कैसे काम करती है : ये थेरेपी जीन साइलेंसिंग नामक एक मेडिकल टेक्नोलॉजी का प्रयोग करते हुए काम करती है। इस टेक्नोलॉजी को सबसे पहले ऑस्ट्रेलिया में 1990 में खोजा गया था। जीन साइलेंसिंग आरएनए का प्रयोग श्वास संबंधी बीमारियों पर हमला करने के लिए करता है।

आरएन बिलकुल डीएनए की तरह होता है। ये एक ऐसी तकनीक है, जो आरएनए के छोटे टुकडों के साथ काम करती है। ये टुकड़े वायरस के जीनोम से जुड़ जाते हैं। इस जुड़ाव की वजह से जीनोम काम नहीं कर पाता है और वास्तव में से कोशिकाओं को नष्ट कर देता है।

हालांकि जानामिविर और रेमडेसिविर जैसे अन्य एंटीवायरल उपचार उपलब्ध हैं, जिन्होंने कोरोना के लक्षणों को कम किया है। साथ ही कोरोना मरीजों को जल्द ठीक होने में मदद भी की है, लेकिन वायरस को सीधे तौर पर रोकने वाला ये पहला इलाज है।
 
इस दवा को एक इंजेक्शन के जरिए कोशिकाओं में भेजा जाता है, जिसे ‘नैनोपार्टिकल’ कहते हैं। ये नैनोपार्टिकल्स फेफड़ों में जाते हैं और आरएनए देने वाली कोशिकाओं में फ्यूज हो जाते हैं। आरएनए वायरस की तलाश करता है और यह जीनोम को नष्ट कर देता है, इसलिए वायरस दोबारा नहीं बना सकता है। वैज्ञानिक पिछले साल अप्रैल से ही इस तरह की दवा पर काम कर रहे थे। हालांकि इस थैरेपी को बाजार में आने में अभी समय लग सकता है।

सम्बंधित जानकारी

Show comments

जरूर पढ़ें

तहव्वुर हुसैन राणा को भारत लाने से फिर बेनकाब होगा पाकिस्तान, जानिए कैसे रची थी 26/11 मुंबई आतंकी हमले की साजिश

तहव्वुर राणा को मिलेगी मौत की सजा? पूर्व गृह सचिव बोले- उसे 26/11 हमले के बारे में सब पता था

क्या नीतीश कुमार होंगे उपप्रधानमंत्री, भाजपा नेता ने की मांग

2 साल में एमपी की सड़कें होंगी अमेरिका जैसी, केंद्रीय मंत्री गडकरी ने दी बड़ी सौगात, CM यादव बोले- लौट रहा गौरवशाली इतिहास

वक्फ संशोधन अधिनियम को TMC सांसद महुआ मोइत्रा ने दी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती

सभी देखें

नवीनतम

सरकारी नौकरी, 4 करोड़ Cash या HSVP का प्लॉट? जानिए पहलवान से विधायक बनीं विनेश फोगाट को तीनों में से क्या चाहिए

RTI को कमजोर करती है DPDP अधिनियम की यह धारा, INDIA गठबंधन ने की निरस्त करने की मांग

मायावती की भतीजी ने दहेज उत्पीड़न का आरोप लगाया, पति समेत 7 पर मामला दर्ज

तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल की तरह वक्फ अधिनियम को खारिज करे केरल : मुस्लिम समूह

बिहार और यूपी के कई क्षेत्रों में बिजली का कहर, अलग-अलग घटनाओं में 32 लोगों की मौत

अगला लेख