अब उन तीन ज‍िंदगि‍यों में ‘यशवंत पाल’ के नाम की तख्‍ती नहीं होगी

नवीन रांगियाल
21 अप्रैल की सुबह पाल साब की मौत हो गई।

पाल साहेब मेरे पड़ोसी थे, मैं उनको नहीं जानता था, जब भी घर से निकलता था तो देशभक्ति और जनसेवा वाले रंग से पुती हुई एक तख़्ती पर उनका नाम लिखा नज़र आता था- टीआई यशवंत पाल।
 
मैं उनकी पत्नी मीना पाल को बहुत पहले से जानता था, जब नईदुनिया मे रिपोर्टर था तो उनकी पत्नी देवास जिले में तहसीलदार थीं, वे देवास के एक क्षेत्र में खनन माफियाओं पर कार्रवाई करने गयीं थी तो माफियाओं ने डंपर के साथ उनका पीछा कर उन पर हमला किया था, जंगल मे भागकर उन्होंने माफियाओं से अपनी जान बचाई थी। यह ख़बर और फोटो सभी अखबारों में पहले पेज पर छपा था। मैंने देवास से इस खबर का लंबे समय तक फॉलोअप किया था। तब सरकारी अधिकारियों पर खनन माफियाओं के हमले बहुत आम थे।
 
पाल मैडम से वर्जन लेने के लिए मैं कई बार फोन पर बात कर चुका था, लेकिन देखा नहीं था। एक दिन वे मेरे घर के पास नज़र आईं, यशवंत पाल लिखी हुई तख़्ती के ठीक सामने। उस दिन पता चला वो यशवंत पाल की पत्नी हैं।
पाल मैडम को पता था कि मैं पत्रकार हूं इसलिए वे मुझसे ज्यादा बात नहीं करती, थोड़ी उखड़ी हुई ही रहती थी। लेकिन पाल साहब बगैर परिचय के ही देखकर हर बार ऐसे मुस्करा देते जैसे लंबे वक्त से जानते हो। पुलिस की नौकरी में होते हुए भी बेहद सौम्य और सरल। देखकर लगता नहीं कि दिन रात अपराधियों से निपटते होंगे। हम उन्हें नमस्ते करें उसके पहले ही वो जय हिंद बोल कर गर्दन झुका देते थे।

मौत के 15 दिन पहले उन्होंने अपने घर के गेट पर लाइट लगवाई थी। घर की पुतवाई करवाई। बहुत सारे पौधें और फूलों के प्लांट खरीदे। उन्हें दीवार पर रखकर सजाया। पूरा घर व्यवस्थित करवाया। लगता था वे सरकारी क्वार्टर में रहते हुए थक गए थे, अब वे इत्मिनान से अपने इस घर में रहना चाहते थे, शायद इसलिए ही घर को दुरुस्त करवाया होगा।

लेकिन यह ख़्याल आने के बाद वे एक दिन भी इस घर में नहीं गुजार सके। अपनी पत्नी और दो बेटियों के साथ आइसोलेट हुए थे, लेकिन 21 अप्रैल को सिर्फ उनकी पत्नी मीना पाल और दो छोटी बेटियां घर वापस लौटीं। रोटी बिलखती। एक उदास वर्तमान में अनिश्चित भविष्य को ताकती हुईं।

इन तीन स्त्रियों की ज़िंदगी में इस अकेले पुरुष को अंतिम समय में भी वे देख नहीं सकीं, छू नहीं सकीं, दुलार नहीं सकीं।

इस वायरस की सबसे बड़ी त्रासदी संभवतः यही है, कि वो हमें प्रिजर्व करने के लिए वो अंतिम विदा भी नहीं देता, अंतिम क्षण भी नहीं देता। अन्तयेष्टि या कॉफिन की तरफ मुड़कर देखने का मौका भी नहीं देता। हम उनकी चिता की लौ भी आंखों में नहीं रख सकते।

इस वक़्त रात के डेढ़ बजे यशंवत पाल के नाम से चस्पा इस घर में तीन स्त्रियां अकेली सुबक रही हैं, या नींद में उनकी गर्दनें झुककर लटक गईं है या वे शून्य में ताक रही हैं, यह देखने या दर्ज करने वाला कोई होशमंद भी उनके पास नहीं है।

मैं पाल साब के प्रवेश द्वार पर लगी उनके नाम की तख़्ती के बारे में सोच रहा हूं। उस तख़्ती के नहीं होने पर उसके बगैर पीछे छूट चुके तीन नामों का अस्तित्व क्या और कैसा होगा?

यह सब सोचकर मेरी आत्‍मा का स्‍वाद बिगड़ जाता है।

सम्बंधित जानकारी

Show comments

जरूर पढ़ें

Operation Sindoor के बाद Pakistan ने दी थी न्यूक्लियर अटैक की धमकी, पार्लियामेंटरी स्टैंडिंग कमेटी में क्या बोले Vikram Misri, शशि थरूर का भी आया बयान

भारत कोई धर्मशाला नहीं, 140 करोड़ लोगों के साथ पहले से ही संघर्ष कर रहा है, सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी

Manipur Violence : नृशंस हत्या और लूटपाट में शामिल उग्रवादी केरल से गिरफ्तार, एनआईए कोर्ट ने भेजा ट्रांजिट रिमांड पर

ISI एजेंट से अंतरंग संबंध, पाकिस्तान में पार्टी, क्या हवाला में भी शामिल थी गद्दार Jyoti Malhotra, लैपटॉप और मोबाइल से चौंकाने वाले खुलासे

संभल जामा मस्जिद मामले में मुस्लिम पक्ष को तगड़ा झटका

सभी देखें

नवीनतम

मंत्री विजय शाह केस में SIT का गठन, ये 3 IPS करेंगे मामले की जांच

क्या रुकेगा रूस-यूक्रेन युद्ध, जेलेंस्की के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने 2 घंटे तक फोन पर पुतिन से की बात, थम जाएगा युद्ध?

Pakistani Spy Arrest : देश से गद्दारी कर पाकिस्तान के लिए कर रहे थे जासूसी, पंजाब, हरियाणा और उत्तरप्रदेश से 12 लोगों की गिरफ्तारी

लोकमाता देवी अहिल्या हैं नारी सशक्तीकरण, सांस्कृतिक राष्ट्रवाद और सुशासन की मिसाल : मोहन यादव

Weather Update : बेंगलुरु में रातभर हुई भारी बारिश, जलभराव से यातायात बाधित, मौसम विभाग ने दी यह चेतावनी

अगला लेख