क्या हाई-प्रोफाइल कैदियों को मिलता है VIP ट्रीटमेंट? जानें कितनी तरह की होती हैं जेल और कैसे मिलता है कैदी नंबर

WD Feature Desk
मंगलवार, 5 अगस्त 2025 (16:20 IST)
Does high profile prisoner get vip treatment: पूर्व PM एचडी देवेगौड़ा के पोते प्रज्वल रेवन्ना को घरेलू नौकरानी से बलात्कार समेत कई गंभीर मामलों में अदालत ने कर्नाटक की अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। सजा सुने जाने के बाद प्रज्वल को परप्पना अग्रहारा सेंट्रल जेल भेजा है। कर्नाटक के खास राजनीतिक परिवार का हिस्सा होने के कारण प्रज्वल का मामला खासी चर्चा में है। सजा प्राप्त प्रज्वल खुद एमपी रहा है। उसके पिता एमएलए और चाचा कुमार स्वामी केंद्र में मंत्री हैं। प्रज्वल के दादा पूर्व पीएम हैं।  
 
जब कोई हाई-प्रोफाइल व्यक्ति, चाहे वह राजनेता हो, अभिनेता हो या कोई बड़ा कारोबारी, जेल जाता है तो एक सवाल अक्सर उठता है कि क्या उसे जेल में आम कैदियों की तरह ही रखा जाता है? क्या भारत में जेलों के भीतर "VIP सुविधाएं" जैसी कोई व्यवस्था है? आइये जानते हैं देश में कितनी तरह की जेले हैं, किस तरह के कैदी को कहां रखा जाता है? उसका कैदी का नंबर कैसे तय होता है? आइए, इस पूरे सिस्टम को गहराई से समझते हैं।

क्या वाकई मिलती हैं VIP सुविधाएं?
कानूनी तौर पर, भारत में सभी कैदी समान हैं। लेकिन, जेल नियमावली और कुछ विशेष परिस्थितियों के तहत कुछ कैदियों को अलग सुविधाएं दी जा सकती हैं। इसे VIP ट्रीटमेंट नहीं, बल्कि एक 'सुपीरियर क्लास' की व्यवस्था कहा जाता है।

सुपीरियर क्लास की सुविधाएं: यह महत्वपूर्ण है कि ये सुविधाएं कैदी की सामाजिक स्थिति के आधार पर दी जाती हैं, न कि अपराध की प्रकृति के आधार पर।

भारत में कितनी तरह की जेलें होती हैं?
भारत की जेल व्यवस्था को मोटे तौर पर आठ प्रकारों में बांटा गया है, जिनका प्रबंधन और प्रशासन राज्य सरकारों के अधिकार क्षेत्र में आता है:
1. केंद्रीय जेल (Central Jails): ये सबसे बड़ी जेलें होती हैं, जहां दो साल से अधिक की सज़ा वाले कैदियों को रखा जाता है।
2. जिला जेल (District Jails): ये राज्यों में सबसे अधिक होती हैं और यहां उन कैदियों को रखा जाता है जिनकी सज़ा कम होती है या जिन पर अभी मुकदमा चल रहा है।
3. उप जेल (Sub Jails): ये छोटी जेलें होती हैं जो तहसील स्तर पर स्थित होती हैं।
4. महिला जेल (Women Jails): ये विशेष रूप से महिला कैदियों के लिए होती हैं।
5. खुली जेल (Open Jails): ये उन कैदियों के लिए होती हैं जिनका आचरण अच्छा होता है। यहां कैदी खेती जैसे काम कर सकते हैं और उन्हें दिन में बाहर जाने की भी अनुमति मिल सकती है।
6. बाल सुधार गृह (Borstal Schools): बाल सुधार गृह भी मूलतः जेल ही हैं लेकिन इन्हें सुधार गृह कहकर संबोधित करने से लिखने में इस्तेमाल किया जाता है क्योंकि यहां किशोर अपराधी रखे जाते हैं. जहां सुधारात्मक शिक्षा और प्रशिक्षण पर जोर दिया जाता है.
7. विशेष जेल (Special Jails): ये विशेष प्रकार के कैदियों, जैसे आतंकवादियों या राजनीतिक बंदियों के लिए होती हैं।
8. अन्य जेल (Other Jails): इसमें विभिन्न प्रकार की छोटी जेलें शामिल हैं।

कैसे तय होता है कैदी नंबर?
जब कोई व्यक्ति जेल में प्रवेश करता है, तो उसकी पहचान बदल जाती है। उसका नाम, धर्म और सामाजिक स्थिति पीछे छूट जाती है, और उसे एक कैदी नंबर दिया जाता है। यह नंबर उसकी नई पहचान बन जाता है। यह नंबर एक विशेष पैटर्न पर आधारित होता है। यह सिर्फ एक संख्या नहीं, बल्कि कैदी की पहचान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है, जो पूरी जेल प्रणाली को व्यवस्थित रखने में मदद करता है। यह नंबर आमतौर पर तीन हिस्सों में बंटा होता है:
1. जेल का कोड (Jail Code): यह कोड बताता है कि कैदी को किस जेल में रखा गया है। जैसे, आपके उदाहरण में DL का मतलब दिल्ली जेल है। यह कोड हर जेल के लिए अलग-अलग होता है, जिससे रिकॉर्ड रखना आसान हो जाता है।
2. दाखिल होने का वर्ष (Year of Admission): यह हिस्सा बताता है कि कैदी को किस साल जेल में दाखिल किया गया। उदाहरण के लिए, 2025 का मतलब है कि कैदी को 2025 में जेल लाया गया था। यह जेल प्रशासन को यह जानने में मदद करता है कि कैदी कितने समय से जेल में है।
3. क्रम संख्या (Serial Number): यह उस साल में दाखिल होने वाले कैदियों की क्रम संख्या होती है। आपके उदाहरण में 123 का मतलब है कि वह उस साल दिल्ली जेल में दाखिल होने वाला 123वां कैदी था।
इस तरह, DL/2025/123 जैसे नंबर से जेल प्रशासन को तुरंत कैदी के बारे में कुछ मूलभूत जानकारी मिल जाती है।
यह नंबर बेहद महत्वपूर्ण होता है क्योंकि यह कैदी के सभी रिकॉर्ड, जैसे उसके केस फाइल, स्वास्थ्य रिकॉर्ड, और कोर्ट की सुनवाई की तारीखों को ट्रैक करने में मदद करता है।
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