विजयादशमी पर सोना पत्ती क्यों बांटी जाती है? जानें इस अनोखी परंपरा का महत्व

क्या है दशहरे के त्योहार से जुड़ी इस प्राचीन मान्यता के पीछे वैज्ञानिक कारण

WD Feature Desk
रविवार, 6 अक्टूबर 2024 (08:00 IST)
Happy Dussehara

Dussehara 2024 : विजय दशमी का पर्व भारत में असत्य पर सत्य की विजय के रूप में जाना जाता है। विजय दशमी के अवसर पर सोना पत्ती (शमी के पेड़ की पत्तियाँ) बांटने की परंपरा का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व बहुत खास है। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है, और इसे समाज में शुभ व समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। 

आज इस आलेख में हम आपको बता रहे हैं विजय दशमी के अवसर पर सोना पत्ती बांटने के पीछे क्या है पौराणिक मान्यता।  

सोना पत्ती का धार्मिक महत्व
सोना पत्ती को बांटने की परंपरा के पीछे पौराणिक कथाएँ और धार्मिक विश्वास जुड़े हुए हैं। शास्त्रों के अनुसार, महाभारत के दौरान पांडवों ने अपने वनवास के अंतिम वर्ष में अपने शस्त्रों को शमी के वृक्ष में छुपाया था। जब विजय दशमी का दिन आया, तो उन्होंने अपने शस्त्रों को इसी पेड़ से निकाला और कौरवों पर विजय प्राप्त की। इसे ही विजय की शुरुआत के रूप में माना जाता है, और इसलिए इस दिन शमी के पेड़ की पत्तियों को सोने की पत्ती के रूप में बांटा जाता है।

सोना पत्ती बांटने के पीछे क्या है सांस्कृतिक दृष्टिकोण
धार्मिक मान्यताओं के साथ ही, इस परंपरा का सांस्कृतिक महत्व भी है। भारत के विभिन्न हिस्सों में लोग एक दूसरे को सोना पत्ती देकर शुभकामनाएँ देते हैं। इसे देने का उद्देश्य केवल धार्मिक नहीं, बल्कि सामाजिक समृद्धि और अच्छे संबंधों को बढ़ावा देना भी है। यह पत्ती समृद्धि, शांति, और अच्छे भविष्य का प्रतीक मानी जाती है। ग्रामीण इलाकों में इसे व्यापार और आर्थिक समृद्धि के साथ जोड़ा जाता है, जिससे यह त्योहार व्यापारियों और किसानों के लिए और भी महत्वपूर्ण हो जाता है।

सोना पत्ती बांटने की परंपरा के पीछे वैज्ञानिक कारण

धार्मिक और सांस्कृतिक कारणों के साथ-साथ, सोना पत्ती बांटने की परंपरा के पीछे एक वैज्ञानिक कारण भी हो सकता है। शमी के वृक्ष को भारतीय आयुर्वेद में विशेष स्थान प्राप्त है। इसकी पत्तियों में औषधीय गुण होते हैं जो हवा को शुद्ध करने में मदद करते हैं। विजय दशमी के समय मानसून का अंत होता है, और ऐसे में वातावरण को शुद्ध करने के लिए शमी वृक्ष की पत्तियों का उपयोग फायदेमंद माना जाता है।
ALSO READ: क्या है करणी माता मंदिर में चूहों का रहस्य, मूषक मंदिर के नाम से है प्रसिद्ध

विजय दशमी पर सोना पत्ती बांटने की परंपरा न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। यह परंपरा हमें इतिहास, धर्म और विज्ञान का एक सुंदर संगम दिखाती है। विजय दशमी पर एक दूसरे को सोना पत्ती देकर हम न सिर्फ शुभकामनाएँ देते हैं, बल्कि अपने जीवन में समृद्धि और सुख-शांति की कामना भी करते हैं।

अस्वीकरण (Disclaimer) : सेहत, ब्यूटी केयर, आयुर्वेद, योग, धर्म, ज्योतिष, वास्तु, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार जनरुचि को ध्यान में रखते हुए सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं। इससे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।


सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

Dussehra ke Upay: दशहरे पर करें रात में ये 5 अचूक उपाय और सभी समस्याओं से मुक्ति पाएं

Navratri Special : उत्तराखंड के इस मंदिर में छिपे हैं अनोखे चुम्बकीय रहस्य, वैज्ञानिक भी नहीं खोज पाए हैं कारण

Navratri 2024: कौन से हैं माता के सोलह श्रृंगार, जानिए हर श्रृंगार का क्या है महत्व

Diwali date 2024: विभिन्न पंचांग, पंडित और ज्योतिषी क्या कहते हैं दिवाली की तारीख 31 अक्टूबर या 1 नवंबर 2024 को लेकर?

Shardiya navratri Sandhi puja: शारदीय नवरात्रि में संधि पूजा कब होगी, क्या है इसका महत्व, मुहूर्त और समय

सभी देखें

धर्म संसार

विजयादशमी पर सोना पत्ती क्यों बांटी जाती है? जानें इस अनोखी परंपरा का महत्व

Aaj Ka Rashifal: 06 अक्टूबर का राशिफल, जानें आज क्या कहती है आपकी राशि

Navratri chaturthi devi Kushmanda: शारदीय नवरात्रि की चतुर्थी की देवी कूष्मांडा की पूजा विधि, मंत्र, आरती, कथा और शुभ मुहूर्त

06 अक्टूबर 2024 : आपका जन्मदिन

06 अक्टूबर 2024, रविवार के शुभ मुहूर्त

अगला लेख