2025 में कब मनाई जाएगी अपरा एकादशी, जानें पूजन के शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

WD Feature Desk
गुरुवार, 15 मई 2025 (15:07 IST)
Jyeshtha month Ekadashi 2025: वर्ष 2025 में मई माह में आने वाली अपरा या अचला एकादशी का व्रत इस बार 23 मई, दिन शुक्रवार को रखा जाएगा। ज्येष्ठ महीने के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली यह एकादशी बहुत ही महत्व की मानी गई है। यह एकादशी गर्मी में दिनों में आने के कारण दान-पुण्य के कार्य के लिहाज से बहुत ही महत्वपूर्ण मानी जाती है। यह तिथि उन लोगों के लिए अधिक लाभकारी है जो संतान की प्राप्ति के इच्छुक हैं। इस व्रत को रखने से मानसिक शांति और समृद्धि प्राप्त होती है।ALSO READ: बलूचिस्तान कब तक होगा पाकिस्तान से अलग, जानिए ज्योतिष विश्लेषण
 
आइए जानते हैं इस एकादशी पर पूजन के शुभ मुहूर्त का समय क्या है, साथ ही जानिए इस व्रत की पूजन विधि के बारे में....
 
अपरा/अचला एकादशी शुक्रवार, 23 मई 2025 के शुभ मुहूर्त: Apara Ekadashi date n time
ज्येष्ठ कृष्ण एकादशी तिथि का प्रारम्भ- 23 मई 2025, दिन शुक्रवार को तड़के 01:12 मिनट पर।
एकादशी तिथि का समापन- 23 मई 2025 को रात 10:29 मिनट पर। 
 
अपरा एकादशी पारण: Apara Ekadashi Parana Time 
पारण या व्रत तोड़ने का समय- 24 मई को सुबह 05:26 से 08:11 तक। 
पारण तिथि के दिन द्वादशी समाप्त होने का समय- शाम 07:20 पर।ALSO READ: क्या Nuclear की मौत मरेगा पाकिस्तान, जानिए भविष्यवाणी का सच
 
अपरा एकादशी पूजा विधि:
 
1. प्रातःकाल: ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
 
2. संकल्प: भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें।
 
3. पूजा स्थल की तैयारी: पूजा स्थल को साफ करें और एक चौकी पर पीला कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
 
4. अभिषेक: भगवान विष्णु का गंगाजल से अभिषेक करें।
 
5. श्रृंगार: भगवान को पीले फूल, फल, चंदन, धूप और दीप अर्पित करें।
 
6. नैवेद्य: भगवान विष्णु को तुलसी दल सहित सात्विक भोजन का भोग लगाएं।
 
7. मंत्र जाप: भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें, जैसे 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय'।
 
8. कथा श्रवण: अपरा एकादशी की व्रत कथा सुनें या पढ़ें।
 
9. आरती: भगवान विष्णु की आरती करें।
 
10. दान: अपनी क्षमतानुसार गरीबों और जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र या धन का दान करें।
 
11. रात्रि जागरण: यदि संभव हो तो रात्रि में भगवान विष्णु के भजन-कीर्तन करें।
 
12. पारण: अगले दिन यानी द्वादशी तिथि को शुभ मुहूर्त में व्रत का पारण करें। पारण के समय तुलसी दल ग्रहण करें।
 
इस विधि से अपरा एकादशी का व्रत और पूजन करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और सभी पापों से मुक्ति मिलती है।
 
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