पर्यावरण दिवस पर मार्मिक कविता : हंसता हुआ आया था

Webdunia
Poem on Tree
 
-अजय अज्ञात 
 
हाथों में कुल्हाड़ी को देखा तो बहुत रोया
इक पेड़ जो घबराकर रोया तो बहुत रोया
 
जब पेड़ नहीं होंगे तो नीड़ कहां होंगे
इक डाल के पंछी ने सोचा तो बहुत रोया  
 
दम घुटता है सांसों का जियें तो जियें कैसे...
इंसान ने सेहत को खोया तो बहुत रोया
 
जाने यह मिलाते हैं क्या ज़हर सा मिट्टी में
इक खिलता बगीचा जब उजड़ा तो बहुत रोया
 
हंसता हुआ आया था जो दरिया पहाड़ों से
अज्ञात वह नगरों से गुजरा तो बहुत रोया... 

ALSO READ: विश्व पर्यावरण दिवस पर कविता : वृक्ष लगाओ फिर से

सम्बंधित जानकारी

Show comments

Lok Sabha Elections 2024 : मेरी इच्छा है नरेंद्र मोदी फिर से मुख्यमंत्री बनें, नीतीश कुमार की फिर फिसली जुबान

Rajasthan weather : राजस्थान में गर्मी का कहर, फलोदी में तापमान 50 डिग्री के पार

Lok Sabha Elections : राहुल गांधी का दावा, प्रधानमंत्री मोदी गिराना चाहते हैं हिमाचल की सरकार

मोदी, शाह और फडणवीस ने गडकरी की हार के लिए काम किया, संजय राउत का दावा

बेबी केयर सेंटर का मालिक नवीन गिरफ्तार, अस्पताल में आग लगने से हुई थी 7 नवजात की मौत

पुणे पोर्शे कांड में बड़ा एक्शन, क्राइम ब्रांच के हत्थे चढ़े 2 डॉक्टर क्या है वजह?

क्या केजरीवाल को है गंभीर बीमारी, SC से जमानत 7 दिन बढ़ाने की मांग?

MP के मंत्री के बंगले में लगे नीम के पेड़ पर आम के फल, देखकर सब हैरान

Weather Update: उत्तर भारत में जारी रहेंगे लू के थपेड़े, रेमल तूफान ने बंगाल तट को पार करना शुरू किया

स्वाति मालीवाल ने लगाया दुष्कर्म का आरोप, ध्रुव राठी का क्यों लिया नाम?

अगला लेख