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टूलकिट मामला : दिशा की जमानत पर फैसला मंगलवार को, बोलीं- किसानों के मुद्दे को उठाना राजद्रोह है तो मैं जेल में ही ठीक हूं...

हमें फॉलो करें टूलकिट मामला : दिशा की जमानत पर फैसला मंगलवार को, बोलीं- किसानों के मुद्दे को उठाना राजद्रोह है तो मैं जेल में ही ठीक हूं...
, रविवार, 21 फ़रवरी 2021 (00:48 IST)
नई दिल्ली। जलवायु कार्यकर्ता दिशा रवि ने शनिवार को दिल्ली की एक अदालत से कहा कि यदि किसानों के प्रदर्शन के मुद्दे को वैश्विक स्तर पर उठाना ‘राजद्रोह’ है तो ‘वह जेल में रहे, यही ठीक है’। वहीं, अदालत ने ‘टूलकिट’ मामले में उसकी जमानत याचिका पर अपना आदेश मंगलवार के लिए सुरक्षित रख लिया।

इससे पहले, दिल्ली पुलिस ने दिशा की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान अदालत में आरोप लगाया कि वह भारत में हिंसा भड़काने की साजिश का हिस्सा थी और उसने ईमेल जैसे साक्ष्य मिटा दिए। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र राणा ने इस दौरान जांच एजेंसी (दिल्ली पुलिस) से कुछ चुभते हुए सवाल पूछे।

न्यायाधीश ने कहा कि वह (पुलिस) सिर्फ अंदाजा लगाकर, ज्ञात तथ्यों के आधार पर निष्कर्ष पर पहुंचकर और बगैर पर्याप्त सबूत के अनुमान लगाकर कार्रवाई कर रही है तथा (26 जनवरी को) किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा से इसका क्या संबंध है। न्यायाधीश ने कहा, जब तक मेरा अंत:करण संतुष्ट नहीं हो जाता है, मैं आगे नहीं बढ़ूंगा।
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अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल एसवी राजू ने दिल्ली पुलिस की ओर से पेश होते हुए अदालत से कहा कि टूलकिट में ‘हाईपरलिंक’ खालिस्तानी वेबसाइटों से जुड़े हुए थे, जो भारत के खिलाफ नफरत फैलाते हैं। उन्होंने आरोप लगाया, यह महज एक टूलकिट नहीं है। असली मंसूबा भारत को बदनाम करने और यहां (देश में) अशांति पैदा करने का था।

हालांकि दिशा के वकील ने दावा किया, टूलकिट को 26 जनवरी के दिन किसानों के ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा की घटना से जोड़ने के लिए कोई साक्ष्य नहीं है। उन्होंने प्राथमिकी में लगाए गए आरोपों पर भी सवाल उठाए।

बचाव पक्ष (दिशा) के वकील सिद्धार्थ अग्रवाल ने कहा, हम सभी लोगों के अपने अलग-अलग विचार होते हैं। आपको किसानों के प्रदर्शन से समस्या हो सकती है, मुझे नहीं हो सकती है। यदि किसानों के प्रदर्शन के मुद्दे को वैश्विक स्तर पर उठाना राजद्रोह है, तो मैं जेल में ही ठीक हूं। मैं (बचाव पक्ष का वकील) भी किसानों का समर्थन करता हूं, आइए सभी लोग जेल जाते हैं।

दिशा के वकील ने कहा, प्राथमिकी में यह आरोप है कि योग और चाय को निशाना बनाया जा रहा है। क्या यह अपराध है? क्या अब हम यह भी पाबंदी लगाने जा रहे हैं कि कोई व्यक्ति अलग राय नहीं रख सकता है। दिशा की जमानत याचिका का विरोध करते हुए पुलिस ने आरोप लगाया कि वह खालिस्तान समर्थकों के साथ यह दस्तावेज (टूलकिट) तैयार कर रही थी। साथ ही, वह भारत को बदनाम करने और किसानों के प्रदर्शन की आड़ में देश में अशांति पैदा करने की वैश्विक साजिश का हिस्सा थी।

दिल्ली पुलिस ने आरोप लगाया कि रवि ने व्हाट्सऐप पर हुई बातचीत (चैट), ईमेल और अन्य साक्ष्य मिटा दिए तथा वह इस बात से अवगत थी कि उसे किस तरह की कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है। पुलिस ने अदालत के समक्ष दलील दी कि यदि दिशा ने कोई गलत काम नहीं किया था, तो उसने अपने ट्रैक (संदेशों) को क्यों छिपाया और साक्ष्य मिटा दिया। पुलिस ने आरोप लगाया कि इससे उसका नापाक मंसूबा जाहिर होता है।

इस पर बचाव पक्ष के वकील ने दावा किया कि दिशा ने मामले में फंसाए जाने के डर से ऐसा किया। उन्होंने कहा, मेरा कसूर बस इतना है कि मैंने ग्रेटा थनबर्ग (जलवायु कार्यकर्ता) से समर्थन मांगा, वह भी किसानों के प्रदर्शन के लिए, न कि खालिस्तान के लिए।

सुनवाई के दौरान न्यायाधीश ने पूछा कि टूलकिट का संबंध हिंसा की घटना से कैसे है? उन्होंने सवाल किया, क्या साक्ष्य है? साजिश और हिंसा के बीच संबंध दिखाने के लिए क्या साक्ष्य हैं? न्यायाधीश ने साजिश के संबंध में दलील दिए जाने पर पूछा, यदि मैं मंदिर निर्माण के लिए डकैत से संपर्क करूं, तो आप कैसे कह सकते हैं कि मैं डकैती से जुड़ा हुआ था? उसके (दिशा के) खिलाफ क्या साक्ष्य हैं?

इस पर राजू ने अपने जवाब में कहा, सरसरी तौर पर यह सामान्य नजर आता है। लेकिन यदि आप हाईपर लिंक पर क्लिक करेंगे तो यह आपको दूसरी वेबसाइट पर ले जाएगा, जो भारतीय थलसेना को बदनाम करता है, यह इस बात का जिक्र करता है कि भारतीय थलसेना ने कश्मीर में किस तरह से नरसंहार किया है।

उन्होंने कहा, वे आलेख पाठक के मन पर प्रभाव डालते हैं। यही कारण है कि पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन पर मामला दर्ज किया गया। किसानों के प्रदर्शन की आड़ में वे राष्ट्र विरोधी गतिविधियां चला रहे हैं। उन्होंने कहा, इन्होंने लोगों को दिखाया कि भारत एक बुरा देश है, जो मुसलमानों की हत्या करता है। शांतनु को दिल्ली यह सुनिश्चित करने भेजा गया कि वह टूलकिट की साजिश को अंजाम दे।

उन्होंने दलील दी कि भारत को वैश्विक स्तर पर बदनाम करने की और देश के अंदर हिंसा भड़काने के लिए बहुत ही सोच समझकर एक साजिश रची गई। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रतिबंधित संगठन ‘सिख्स फॉर जस्टिस’ ने खालिस्तानी झंडा थामने वाले किसी भी व्यक्ति को 2,50,000 डॉलर देने का ऐलान किया था। उन्होंने कहा, यह संगठन भी इस मामले में संलिप्त है।

दिल्ली पुलिस ने आरोप लगाया, वह (दिशा) भारत को बदनाम करने, किसानों के प्रदर्शन की आड़ में अशांति पैदा करने की वैश्विक साजिश के भारतीय चैप्टर का हिस्सा थी। वह टूलकिट तैयार करने और उसे साझा करने को लेकर खालिस्तान समर्थकों के संपर्क में थी। पुलिस ने अदालत से कहा, इससे प्रदर्शित होता है कि इस टूलकिट के पीछे एक नापाक मंसूबा था।

हालांकि दिशा के वकील ने कहा, मेरा (दिशा का) संबंध प्रतिबंधित संगठन ‘सिख्स फॉर जस्टिस’ से जोड़ने के लिए कोई साक्ष्य नहीं है। और यदि मैं (दिशा) किसी से मिली भी थी, तो उस व्यक्ति के माथे पर अलगावादी होने का ठप्पा नहीं लगा हुआ था। दिशा के वकील ने कहा, दिल्ली पुलिस ने किसानों की मार्च (ट्रैक्टर परेड) की इजाजत दी थी, जिसके बारे में उनका (पुलिस का) दावा है कि मैंने उनसे (किसानों से) इसमें शामिल होने को कहा था, फिर मैंने कैसे राजद्रोह कर दिया।

उन्होंने दावा किया कि 26 जनवरी को लालकिले पर हुई हिंसा के सिलसिले में गिरफ्तार किए गए किसी भी व्यक्ति ने यह नहीं कहा है कि वह इस गतिविधि के लिए ‘टूलकिट’ से प्रेरित हुआ था। ‘टूलकिट’ ऐसा दस्तावेज होता है, जिसमें किसी मुद्दे की जानकारी देने के लिए और उससे जुड़े कदम उठाने के लिए विस्तृत सुझाव दिए होते हैं।

आमतौर पर किसी बड़े अभियान या आंदोलन के दौरान उसमें हिस्सा लेने वाले लोगों को इसमें दिशा-निर्देश दिए जाते हैं। इसका उद्देश्य किसी खास वर्ग या लक्षित समूह को जमीनी स्तर पर गतिविधियों के लिए दिशानिर्देश देना होता है। दिशा के वकील ने अदालत में दावा करते हुए कहा, ऐसा कोई साक्ष्य नहीं है, जो यह प्रदर्शित कर सके कि किसानों की मार्च (ट्रैक्टर परेड) के दौरान हुई हिंसा के लिए टूलकिट जिम्मेदार है।

उन्होंने प्राथमिकी में लगाए गए आरोपों पर भी सवाल उठाए और कहा कि लोगों के किसी एक विषय पर अलग-अलग विचार हो सकते हैं। उन्होंने कहा, कश्मीर में नरसंहार के बारे में वर्षों से बातें हो रही हैं। इस बारे में बात करना अचानक से राजद्रोह कैसे हो गया?

गौरतलब है कि एक निचली अदालत ने दिशा की पांच दिनों की पुलिस हिरासत की अवधि समाप्त होने के बाद शुक्रवार को जलवायु कार्यकर्ता को तीन दिनों के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया था। दिशा को दिल्ली पुलिस के साइबर प्रकोष्ठ ने 13 फरवरी को बेंगलुरु से गिरफ्तार किया था। दिशा पर राजद्रोह और अन्य आरोपों के तहत मामला दर्ज किया गया है।(भाषा)

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