ट्रूडो समेत जो देश ‘किसान आंदोलन’ का समर्थन कर रहे हैं वे ‘डब्‍लूटीओ’ में किसानों योजनाओं के विरोधी रहे हैं!

नवीन रांगियाल
भारत में किसान आंदोलन हो और कनाडा के प्रधानमंत्री अपना समर्थन कर आंदोलन को हवा दें तो इसका क्‍या मतलब हो सकता है। क्‍या इसे यूं समझा जाए कि कनाडा के प्रधानमंत्री भारत में तमाम तकलीफों, समय-समय पर मौसम की मार और आत्‍महत्‍याओं से जूझते किसानों के प्रति सहानुभूति रखते हैं। या वे भारतीय किसानों को लेकर बेहद दुखी हैं।

यह ठीक वैसा ही है कि चीन या पाकिस्‍तान भारत के बेहद ही अंदरुनी मामलों में अपने बयान दें वो भी ऐसे मामलों में जिनका उनसे कोई सरोकार ही नहीं है।

दरअसल, भारत में चल रहे किसान आंदोलन को लेकर इन दिनों अंतरराष्ट्रीय समर्थन जताने की कोशिशें की जा रही हैं। ब्रिटेन के 36 सांसदों ने जहां इस मुद्दे को लेकर ब्रिटिश विदेश मंत्री के नाम खत लिखकर हस्‍तक्षेप की अपील की है, वहीं किसान आंदोलन पर कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने एक बार फिर बयान दिया है और इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बताया है।

भला भारतीय किसानों से कनाडा के प्रधानमंत्री को क्‍यूं कर हमदर्दी हो सकती है और इससे उन्‍हें क्‍या फायदा हो सकता है। जाहिर है कनाडाई प्रधानमंत्री जस्‍टि‍न ट्रूडो की भारतीय किसानों के प्रति यह हमदर्दी साफतौर से अपनी सियायत चमकाने का काम है।

प्रधानमंत्री ट्रूडो वहां लेबर पार्टी की अगुवाई करते हैं। पूरी दुनिया जानती हैं कि दुनिया में सबसे ज्‍यादा भारतीय सिख कनाडा में निवास करते हैं। ट्रूडो कनाडा में बसी इस भारतीय-सिख बिरादरी को अपना वोटबैंक मानती है, क्योंकि इसका प्रभाव वहां की करीब 12 सीटों पर है। इस छोटी आबादी वाले देश कनाडा में सिर्फ 238 सीटों वाली संसद है ऐसे में यह 12 सीटें वहां की सत्ता का समीकरण बनाने और बिगाड़ने में बेहद अहम भूमिका निभा सकती हैं।

यही नहीं कहा मीड‍ि‍या रिपोर्ट बताती हैं कि कई खालिस्तान समर्थक गुट और उनके नियंत्रण वाले गुरुद्वारे भी ट्रूडो की लेबर पार्टी के लिए फ़ंड एकत्र करने का काम करते हैं और भारत में हो रहा किसान आंदोलन पंजाब से जुडा हुआ है। ऐसे में ट्रूडो पर कनाडा के भारतीय सिखों का क‍ितना प्रेशर है यह समझना कोई बेहद मुश्‍किल काम नहीं है।

ऐसे में अगर भारत के किसानों के आंदोलन के पक्ष में ट्रूडो बार-बार ट‍िप्‍पणी करते हैं तो यह उनकी सियासी मजबूरी है न कि भारतीय किसानों से हमदर्दी।

वे अपनी राजनीतिक मंशा के चलते ही यह सब कर रहे हैं बावजूद इसके कि भारत इस पर अपना एतराज जता चुका है।

कनाडा में भारत के पूर्व उच्चायुक्त विष्णु प्रकाश मीड‍िया में यह कह भी चुके हैं कि इतना ज़रूर साफ है कि ट्रूडो को भारतीय किसानों के लाभ से ज़्यादा फिक्र अपने सियासी नफे नुकसान की है। क्‍योंकि ब्रिटेन के जिन 36 सांसदों ने विदेश मंत्री डोमनिक राब को पत्र लिखकर इसे ब्रिटिश सिखों के लिए भी बड़ी चिंता का विषय बताते हुए हस्तक्षेप की मांग की उनमें ज्‍यादतर लेबर पार्टी के सांसद हैं।

इस बीच भारत की नाराजगी अपने चरम पर है। कहा जा रहा है कि भारत एक बार फिर कनाडाई उच्चायुक्त नादिर पटेल को तलब कर सकता है।

ऐसे में भारत के किसान आंदोलन में अंतराष्‍ट्रीय हस्‍तक्षेप से स्‍पष्‍ट है कि उन्‍हें यहां की समस्‍या से नहीं अपनी राजनीति से सरोकार है। लेकिन इस बीच जो सबसे दिलचस्‍प बात है वो यह है कि जिन देशों में कथित रूप से भारत के किसानों के समर्थन में आवाज़ें उठाई गई हैं, वही मुल्क अक्सर WTO जैसी संस्थाओं में भारत सरकार की किसान सहायता योजनाओं का विरोध करते रहे हैं।

नोट: इस लेख में व्‍यक्‍त व‍िचार लेखक की न‍िजी अभिव्‍यक्‍त‍ि है। वेबदुन‍िया का इससे कोई संबंध नहीं है।

सम्बंधित जानकारी

Show comments

UP : आगरा में जूता कारोबारियों के ठिकानों पर इनकम टैक्स की छापेमारी, 30 करोड़ बरामद

Swati Maliwal Case : स्वाति मालीवाल बोली- एक गुंडे के दबाव में झुकी AAP, अब मेरे चरित्र पर सवाल उठा रही है

छत्तीसगढ़ में एक ही परिवार के 5 लोगों की हत्‍या, फांसी पर लटका मिला एक अन्‍य शव

कोर्ट ने क्यों खारिज की विभव कुमार की जमानत याचिका, बताया कारण

अमेठी में इस बार आसान नहीं है केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी की राह

Lok Sabha Elections 2024 : रायबरेली में भाजपा ही करेगी राहुल गांधी की जीत आसान

UP : आगरा में जूता कारोबारियों के ठिकानों पर इनकम टैक्स की छापेमारी, 30 करोड़ बरामद

Swati Maliwal Case : स्वाति मालीवाल बोली- एक गुंडे के दबाव में झुकी AAP, अब मेरे चरित्र पर सवाल उठा रही है

जर्मन मीडिया को भारतीय मुसलमान प्रिय हैं, जर्मन मुसलमान अप्रिय

छत्तीसगढ़ में एक ही परिवार के 5 लोगों की हत्‍या, फांसी पर लटका मिला एक अन्‍य शव

अगला लेख