किसान संगठनों ने गणतंत्र दिवस पर हुई हिंसा को बताया साजिश, आंदोलन को समर्थन देने पहुंचीं गांधीजी की पोती

Webdunia
शनिवार, 13 फ़रवरी 2021 (21:38 IST)
नई दिल्ली। कृषि कानूनों के विरोध में प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों ने शनिवार को कहा कि दिल्ली में 26 जनवरी को ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा और कथित तौर रूप से किसानों पर दर्ज किए गए 'झूठे' मामलों की उच्च स्तरीय न्यायिक जांच होनी चाहिए।
 
सिंघू बॉर्डर पर एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के नेताओं ने किसानों से कहा कि पुलिस का नोटिस मिलने पर वे सीधे पुलिस के सामने उपस्थित न हों और इसकी बजाय किसान संगठनों द्वारा बनाए गए विधिक प्रकोष्ठ की सहायता लें।
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एसकेएम के विधिक प्रकोष्ठ के सदस्य कुलदीप सिंह ने कहा कि 26 जनवरी को हुई हिंसा के पीछे की 'साजिश' का पर्दाफाश करने और किसानों के विरुद्ध 'झूठे मामले' दर्ज कराए जाने की जांच का जिम्मा उच्चतम न्यायालय या उच्च न्यायालय के किसी सेवानिवृत्त न्यायाधीश को सौंपा जाना चाहिए।
 
एसकेएम नेताओं के मुताबिक, ट्रैक्टर परेड में शामिल 16 किसानों का अभी तक पता नहीं चल पाया है। एक अन्य नेता रविंद्र सिंह ने कहा कि 44 में से 14 प्राथमिकी के संबंध में 122 किसानों को दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया है।
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उन्होंने कहा कि गिरफ्तार किए गए सभी किसानों को एसकेएम, विधिक और वित्तीय सहायता उपलब्ध कराएगा। सिंह ने कहा कि गिरफ्तार किए गए प्रत्येक किसान को जेल की कैंटीन में खर्च करने के लिए 2 हजार रुपए की सहायता दी जाएगी।
 
उन्होंने कहा कि एसकेएम के विधिक दल ने शुक्रवार को तिहाड़ जेल का दौरा किया जहां इस समय 112 किसानों को रखा गया है। किसान संगठनों के नेताओं ने दिल्ली जल बोर्ड के उपाध्यक्ष और आम आदमी पार्टी के नेता राघव चड्ढा से आग्रह किया है कि वह किसानों को एक जेल में रखा जाना सुनिश्चित कराएं।
 
एक वक्तव्य में एसकेएम ने मांग की है कि उसके विधिक प्रकोष्ठ को गिरफ्तार किए गए किसानों से मिलने और उन्हें वित्तीय सहायता देने की अनुमति दी जाए। वक्तव्य में कहा गया कि एसकेएम के विधिक प्रकोष्ठ ने दिल्ली सरकार और पुलिस द्वारा किसानों को सीआरपीसी की धारा 160 के तहत नोटिस जारी करने और झूठे मामलों में फंसाने की कड़ी निंदा की है।
 
समर्थन के लिए पहुंची महात्मा गांधी की पोती : महात्मा गांधी की पोती तारा गांधी भट्टाचार्य केंद्र के विवादास्पद कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन का समर्थन करने के लिए शनिवार को गाजीपुर बॉर्डर पहुंची। 
 
राष्ट्रीय गांधी संग्रहालय की अध्यक्ष तारा (84) ने यहां प्रदर्शनकारी किसानों से विरोध-प्रदर्शन के दौरान शांति बनाए रखने की अपील की। साथ ही उन्होंने सरकार से कृषक समुदाय की ‘सुध लेने’ का भी अनुरोध किया।
 
उनके साथ गांधी स्मारक निधि के अध्यक्ष रामचंद्र राही, ऑल इंडिया सर्व सेवा संघ के प्रबंध न्यासी अशोक सरन, गांधी स्मारक निधि के निदेशक संजय सिंह और राष्ट्रीय गांधी संग्रहालय के निदेशक ए अन्नामलाई भी थे।
 
दिल्ली-उत्तर प्रदेश सीमा पर यहां गाजीपुर में प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे बीकेयू के बयान के मुताबिक तारा गांधी भट्टाचार्य ने कहा कि हम यहां किसी राजनीतिक कार्यक्रम के तहत नहीं आए हैं। हम आज यहां किसानों के लिए आए हैं , जिन्होंने हम सभी को हमारे पूरे जीवन में अन्न दिया है।
 
उन्होंने प्रदर्शनकारियों से कहा कि हम आप सभी के चलते ही (जीवित) हैं। किसानों की भलाई में ही देश की ओर हम सब की भलाई है।
 
भट्टाचार्य ने अंग्रेजों के शासन से मुक्ति के लिए 1857 में हुए प्रथम स्वतंत्रा संग्राम को याद करते हुए कहा कि वह भी पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मेरठ से ही शुरू हुआ था। बीकेयू के मीडिया प्रभारी धर्मेंद्र मलिक द्वारा जारी एक बयान के मुताबिक महात्मा गांधी की पोती ने कहा कि वे प्रदर्शन स्थल पर किसानों के लिए प्रार्थना करने आई हैं। उन्होंने कहा कि मैं चाहती हूं कि जो कुछ हो, उसका फायदा किसानों को मिलना चाहिए। किसानों की कड़ी मेहनत से कोई भी व्यक्ति अनजान नहीं है।
राजस्थान में राहुल गांधी की हुंकार : कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने जयपुर में केंद्रीय कृषि कानूनों को लेकर शनिवार को एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि वे देश की 40 प्रतिशत जनता के कृषि व्यापार को अपने दो मित्रों के हवाले करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि इन कानूनों के जरिए देश की रीढ़ को तोड़ा जा रहा है और प्रधानमंत्री मोदी ने कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे लोगों को 'आंदोलनजीवी' कहकर उनका अपमान किया है।
 
राजस्थान के दो दिन के दौरे पर आए गांधी ने शनिवार को रूपनगढ़ और मकराना में किसान महापंचायतों को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने लोकदेवता वीर तेजाजी के मंदिर में धोक लगाई। उन्होंने ट्रैक्टर भी चलाया और ऊंट गाड़ी पर चढ़कर लोगों का अभिवादन किया।
 
कृषि को देश और दुनिया का सबसे बड़ा व्यापार बताते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री इसे देश की 40 प्रतिशत जनता से छीनकर दो-तीन उद्योगपतियों को देना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि कृषि दुनिया का सबसे बड़ा व्यापार है। नरेन्द्र मोदी यह कानून इसलिए लाए हैं ताकि वह इस व्यापार को हिंदुस्तान की 40 प्रतिशत आबादी से छीन कर हिन्दुस्तान के दो-तीन सबसे बड़े उद्योगपतियों के हाथ में दे सके। यही इन तीन कानूनों का लक्ष्य है। 
 
उन्होंने कहा कि ये कृषि क्षेत्र हिंदुस्तान की जनता को रोजगार देता है। इसके बिना हिंदुस्तान रोजगार पैदा नहीं कर पाएगा। जो आपका है, उसे प्रधानमंत्री मोदी दो लोगों को दे रहे हैं। युवाओं का भविष्य उनसे छीना जा रहा है। हिंदुस्तान की रीढ़ की हड्डी को आपकी आंखों के सामने तोड़ा जा रहा है।’’
 
गांधी ने कहा कि यह नई बात नहीं है। इसकी शुरुआत मोदी ने नोटबंदी से की। आपकी जेब से पैसा निकालकर उन्हीं दो-तीन उद्योगपतियों को दिया। इसके बाद जीएसटी, गब्बर सिंह टैक्स ... रास्ता साफ किया जा रहा है। किसानों को, मजदूरों को, व्यापारियों को, छोटे कारोबारियों को परे किया जा रहा है। 
 
उन्होंने कहा कि मैंने कहा कि कोरोना से किसानों, मजदूरों और गरीबों को भयानक चोट लगने वाली है। प्रेस वालों ने मेरा मजाक उड़ाया था। प्रेस वाले कहते हैं कि ये किसान नहीं है। ये देशद्राही हैं ....नरेन्द्र मोदी संसद में उनको ‘आंदोलनजीवी’ कहते हैं, उनका अपमान करते हैं उनका मजाक उड़ाते हैं।
 
गांधी ने कहा कि उन्होंने आंदोलन के दौरान शहीद हुए 200 किसानों के लिए दो मिनट का मौन रखने को कहा तो भाजपा का एक भी सांसद, मंत्री खड़ा नहीं हुआ। दुनिया के सामने इन लोगों ने किसान का मजाक किया। मैं अध्यक्ष को लिखकर दूंगा कि राज्यसभा और लोकसभा दोनों के सदस्यों को शहीद किसानों के लिए मौन रखना चाहिए। मुझे पूरा भरोसा है कि अध्यक्ष लोकसभा के सदस्यों को दो मिनट का मौन रखने को कहेंगे।
 
उन्होंने कहा कि किसानों के लिए दो मिनट का मौन रखकर उन्होंने कोई गलती नहीं की। अगर गलती की तो यह फिर से करूंगा और करता जाऊंगा। राजस्थान के दो दिवसीय दौरे पर आए गांधी ने इससे पहले किशनगढ़ के पास सुरसुरा में लोक देवता तेजाजी महाराज मंदिर में दर्शन किए और पूजा की।
 
उन्होंने रूपनगढ़ में भी किसान संवाद किया जहां उन्होंने तीन केंद्रीय कृषि कानूनों का जिक्र करते हुए कहा कि हिंदुस्तान का सबसे बड़ा व्यापार कृषि का है। 40 लाख करोड़ रुपये का व्यापार है। दुनिया का सबसे बड़ा व्यापार है और यह किसी एक व्यक्ति का व्यापार नहीं है। कृषि का व्यापार हिंदुस्तान के 40 प्रतिशत लोगों का व्यापार है। इसमें किसान, छोटे व्यापारी, मजदूर सब भागीदार हैं। 
 
गांधी ने कहा कि लेकिन प्रधानमंत्री मोदी चाहते हैं कि यह पूरा का पूरा व्यापार उनके दो मित्रों के हवाले हो जाए। इन कृषि कानूनों का यही लक्ष्य है। मोदी जी चाहते हैं कि जो आपका है जो 40 प्रतिशत हिंदुस्तान का है, वह सिर्फ दो लोगों के हाथों में चला जाये। हालांकि उन्होंने किसी का नाम नहीं लिया। उन्होंने कहा कि लेकिन किसान कह रहा है कि हम मर जाएंगे लेकिन हम ये नहीं होने देंगे कभी नहीं होने देंगे। 
 
ट्रालियों को जोड़कर बनाए गए मंच से किसानों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि यह मत सोचिए कि सिर्फ किसान बोल रहा है। किसान के पीछे मजदूर है, मजदूर के साथ छोटा व्यापारी खड़ा है। अगर ये कानून लागू हो गए तो इसका नुकसान सिर्फ किसानों को नहीं होगा। सबके सब बेरोजगार हो जाएंगे।
 
गांधी ने रूपनगढ़ में ट्रैक्टर भी चलाया। उनके साथ मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा भी बैठे। गांधी ने वहां मौजूद लोगों का अभिभावदन करते हुए काफी देर तक ट्रैक्टर चलाया। कांग्रेस के इस कार्यक्रम में किसान अपने-अपने ट्रैक्टर लेकर पहुंचे थे। वहां मंच भी बड़ी-बड़ी ट्रालियों को जोड़कर बनाया गया था। मंच पर बैठने के लिए कुछ नहीं था लेकिन गांधी के संबोधन के बाद वहां कुछ चारपाइयां रखी गयीं।
 
यहां से मकराना जाते हुए परबत सर के पास गांधी का स्वागत किया गया। वहां गांधी ने विशेष रूप से सजाई गई ऊंट गाड़ी पर चढ़कर लोगों का अभिवादन किया। इस अवसर पर गांधी का स्वागत गेहूं की बालियों का बना गुच्छ देकर किया गया। इस दौरान कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव के सी वेणुगोपाल, राजस्थान प्रभारी अजय माकन और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट भी उनके साथ रहे। गांधी ने दो दिन के अपने दौरे में शुक्रवार को पीलीबंगा और पदमपुर में महापंचायतों को संबोधित किया था। (भाषा)

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