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गडकरी बोले, किसानों पर राजनीति देशहित में नहीं

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, बुधवार, 16 दिसंबर 2020 (14:53 IST)
नई दिल्ली। केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने बुधवार को कहा कि किसानों को गुमराह और भ्रमित करने और उनके प्रदर्शन का फायदा उठाने की कोशिश की जा रही है। साथ ही उन्होंने किसान संगठनों से सरकार से सार्थक बातचीत कर गतिरोध समाप्त करने की अपील भी की।
 
भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व अध्यक्ष ने कहा कि मामले पर विेदशों से आ रहे बयान अनुचित और अकारण हैं क्योंकि भारत ने कभी किसी अन्य देश के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं किया है।
 
केन्द्रीय सड़क परिवहन, राजमार्ग और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (MSME) मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि कुछ ताकतों द्वारा किसानों को गुमराह और भ्रमित करने और प्रदर्शन का फायदा उठाने की कोशिश की जा रही है। इस तरह की राजनीति देश हित में नहीं है। लोकतंत्र में, सरकार बातचीत को तैयार है.... हम उनकी वास्तविक मांगों को स्वीकार करने को तैयार हैं। उन्हें आगे आकर बातचीत करनी चाहिए।
 
गडकरी ने कहा कि जब सरकार बातचीत को तैयार है, तो किसानों को भी आगे आना चाहिए। उन्होंने कहा कि जहां संवाद नहीं होता, वहां समस्याएं और गलतफहमियां होती हैं।
 
मंत्री ने कहा कि उन्हें यह बात समझ नहीं आ रही कि नक्सलियों का समर्थन करने वाले लोगों की तस्वीरें, जिनका किसानों से कोई नाता नहीं है, वे किसान प्रदर्शन के दौरान क्यों नजर आ रही हैं। उन्होंने कहा कि किसानों को ऐसे तत्वों के प्रयास विफल करने चाहिए और सरकार के साथ तीनों कृषि कानूनों पर बातचीत करनी चाहिए।
 
यह पूछे जाने पर कि गतिरोध आखिर समाप्त क्यों नहीं हो रहा, गडकरी ने कहा कि किसान संगठनों को यह समझना चाहिए कि कुछ तत्व उन्हें भ्रमित करना चाहते हैं। साथ ही उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि वे लोग जो केवल मंडी में सामान बेचने की बात कर रहे हैं...वे असल में वे लोग हैं, जो किसानों के साथ अन्याय कर रहे हैं।
 
कृषि कानूनों के कॉरपोरेट और उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाने के आरोपों को खारिज करते हुए गडकरी ने कहा कि ये केवल किसानों के फायदे के लिए हैं और बेहद सोच-विचार कर बनाए गए हैं।
 
तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों और सरकार के मध्य जारी गतिरोध के बीच मंगलवार को केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा था कि सरकार ‘‘वास्तविक किसान संगठनों’’ के साथ वार्ता जारी रखने और खुले दिमाग से मसले का समाधान खोजने को तैयार है।
 
उन्होंने यह भी कहा था कि जिस न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर सरकार की किसानों से उनकी उपज खरीदने की प्रतिबद्धता होती है, वह एक प्रशासनिक निर्णय होता और यह वर्तमान स्वरूप में इसी तरह जारी रहेगा।
 
अनेक किसान संगठन, विशेष रूप से पंजाब और हरियाणा के किसान संगठन, तीन नये कृषि कानूनों के खिलाफ दो सप्ताह से अधिक समय से विरोध प्रदर्शन जारी रखे हैं। उनका कहना है कि नए कानून से एमएसपी और मंडी प्रणाली खत्म होगी और उन्हें निगमित कंम्पनियों के रहमो-करम पर छोड़ दिया जायेगा। (भाषा) 

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