क्यों मनाया जाता है 'फ्रेंडशिप डे', क्या है दोस्ती के सही मायने...

अतुल शर्मा
शनिवार, 4 अगस्त 2018 (22:20 IST)
दोस्त और दोस्ती कहने में तो दोनों एक ही शब्द हैं, लेकिन इन दोनों शब्दों में बहुत बड़ा अंतर है। दोस्त (मित्र) यह शब्द कहने में तो बहुत अच्छा लगता है, लेकिन इस शब्द की प्रा‍थमिकता को आज तक कोई नहीं समझ पाया है। हम जाने-अनजाने में कई लोगों को किसी न किसी रूप  में दोस्त तो बना लेते हैं लेकिन उनसे सही मायने में दोस्ती (मित्रता) नहीं कर पाते।

 
 
भारत में 'फ्रेंडशिप डे' अगस्त के पहले रविवार को मनाया जाता है। 'फ्रेंडशिप डे' मनाने का चलन वैसे तो पश्चिमी देशों से शुरू हुआ, लेकिन भारत में भी पिछले कुछ सालों से युवाओं के बीच ये काफी लोकप्रिय हो रहा है। लोग इस दिन एक-दूसरे को ग्रीटिंग कार्ड, सोशल मीडिया और  एसएमएस के जरिए बधाइयां देते हैं।
 
'फ्रेंडशिप डे' की शुरुआत 1935 में अमेरिका से हुई थी। कहा जाता है कि अगस्त के पहले रविवार को अमेरिकी सरकार ने एक निर्दोष व्यक्ति को मार दिया था और जिसके दु:ख में उसके दोस्त ने आत्महत्या कर ली जिसके बाद दक्षिणी अमेरिकी लोगों ने इंटरनेशनल 'फ्रेंडशिप डे'  "International Friendship Day" मनाने का प्रस्ताव अमेरिकी सरकार के समक्ष रखा था।
 
इस हादसे के बाद लोगों के इस प्रस्ताव को सरकार ने पहले तो मानने से बिलकुल मना कर दिया था लेकिन उनके गुस्से को शांत करने के लिए बाद में अमेरिकी सरकार ने लगभग 21 साल बाद 1958 में ये प्रस्ताव मंजूर कर लिया जिसके बाद अगस्त के पहले रविवार को 'फ्रेंडशिप डे'  मनाने का चलन शुरू हो गया।
दोस्त : हमारी नजर में दोस्त उस व्यक्ति को कहा जाता है, जो हमें घुमाए, फिराए, फिल्म दिखाए, खाना खिलाए, मौज-मस्ती कराए, हमारे सारे शौक-मौज पूरे करे, वो भी अपने पैसों से। इस तरह के व्यक्ति को हम आज के समय में दोस्त कहते हैं। लेकिन क्या सही मायने में यह हमारे दोस्त बनने लायक हैं भी या नहीं? मेरी नजर में दोस्त उस व्यक्ति को कहेंगे, जो आपके सुख के समय में भले ही साथ न हो, पर दु:ख के समय में आपका साथ दे।
 
आपको हमेशा कुछ करने के लिए प्रेरित करे और गलत रास्ते पर जाने से रोके। इसका सबसे अच्छा उदाहरण महाभारत में कर्ण और दुर्योधन का है, जो अच्छे दोस्त के रूप में जाने जाते हैं।
 
दोस्ती : 'दोस्ती' शब्द दो लोगों के मध्य एक विश्वास है, जो आज के समय में महज 'एक नाम और भद्दा मजाक' बनकर रह गया है। दोस्ती का सही अर्थ आज तक कोई नहीं समझ पाया है। आज के समय में दोस्ती अपनी जरूरतों को पूरा करने का एक माध्यम बनकर रह गई है जिसके  कि पास जाकर आप अपनी जरूरत को पूरा करते हैं।
 
सही मायने में दोस्ती वह है जिसमें आपका दोस्त आपके सद्गुणों को दिखाए और आपके अवगुणों को छुपाकर रखे। किसी भी अनजाने व्यक्ति के सामने आपका मजाक न बनाए और शर्मिंदा न करे। दोस्ती की सही मिसाल तो भगवान श्रीकृष्ण और सुदामा की है। सुदामा भगवान श्रीकृष्ण के परम‍ मित्र तथा भक्त थे। वे समस्त वेद-पुराणों के ज्ञाता और विद्वान ब्राह्मण थे। श्रीकृष्ण से उनकी मित्रता ऋषि सांदीपनि के गुरुकुल में हुई थी। इन दोनों की दोस्ती के किस्से हम आज तक याद करते आ रहे हैं। 
दोस्त बनाने में सोशल मीडिया की भूमिका : सोशल मीडिया आज के समय में दोस्त बनाने के लिए बहुत अहम भूमिका निभा रहा है। इसके अंतर्गत फेसबुक, वॉट्सएप, ट्विटर, इंस्टाग्राम, मैसेंजर और आईएमओ आदि सभी आते हैं। इन सोशल साइटों के माध्यम से हम बहुत सारे ऐसे  कई लोगों को दोस्त बना लेते हैं जिनसे हम पहले कभी मिले भी नहीं होते हैं।
 

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