Hanuman Chalisa

गणेशजी को क्यों प्रिय हैं मोदक, जानिए 5 खास बातें

अनिरुद्ध जोशी
हिन्दू कैलेंडर के अनुसार भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से अनंत चतुर्दशी तक गणेश उत्सव मनाया जाता है। इस दौरान गणेशजी को लड्डू, सतोरी या पुरण पोली, श्रीखंड, केले का शीरा, रवा पोंगल, पयसम, मोदक आदि प्रसादों का भोग लगाया जाता है जिसमें उन्हें सबसे प्रिय मोदक है। आओ जानते हैं कि उन्हें मोदक क्यों पसंद है।
 
 
1. मोदक का वर्णन : एक बार माता पार्वती को देवताओं ने अमृत से तैयार किया हुआ एक दिव्य मोदक दिया। मोदक देखकर दोनों बालक (कार्तिकेय तथा गणेश) माता से मांगने लगे। तब माता ने मोदक के महत्व का वर्णन किया कि इस मोदक की गंध से ही अमरता प्राप्त होती है। इसे सूंघने और खाने वाला सभी शास्त्रों का ज्ञाता, सभी तंत्रों में प्रवीण, सभी कलाओं का जानकार और सर्वज्ञ हो जाता है। मोदक के अमृततुल्य होने की कथा पद्म पुराण के सृष्टि खंड में मिलती है।
 
2. मोदक के लिए प्रतियोगिता : मोदक के महत्व का वर्णन सुनकर गणेशजी को इसके खाने की तीव्र इच्छा जागृत हुई। कार्तिकेय भी इसके खाने की जिद करने लगे। माता ने कहा कि तुममें से जो धर्माचरण के द्वारा श्रेष्ठता प्राप्त करके सर्वप्रथम सभी तीर्थों का भ्रमण कर आएगा, उसी को मैं यह मोदक दूंगी। माता की ऐसी बात सुनकर कार्तिकेय ने मयूर पर आरूढ़ होकर मुहूर्तभर में ही सब तीर्थों का स्नान कर लिया। इधर गणेश जी का वाहन मूषक होने के कारण वे तीर्थ भ्रमण में असमर्थ थे। तब गणेशजी श्रद्धापूर्वक माता-पिता की परिक्रमा करके पिताजी के सम्मुख खड़े हो गए।
 
3. तब गणेशजी बने प्रथम पूज्य : माता पिता की परिक्रमा कर उन्होंने माता पिता की स्तुति की। यह देख माता पार्वतीजी ने कहा कि समस्त तीर्थों में किया हुआ स्नान, सम्पूर्ण देवताओं को किया हुआ नमस्कार, सब यज्ञों का अनुष्ठान तथा सब प्रकार के व्रत, मन्त्र, योग और संयम का पालन- ये सभी साधन माता-पिता के पूजन के सोलहवें अंश के बराबर भी नहीं हो सकते। इसलिए यह गणेश सैकड़ों पुत्रों और सैकड़ों गणों से भी बढ़कर है। अतः यह मोदक मैं गणेश को ही अर्पण करती हूं। माता-पिता की भक्ति के कारण ही इसकी प्रत्येक यज्ञ में सबसे पहले पूजा होगी।
 
4. कैसे बनता मोदक : मोदक भी कई तरह के बनते हैं। मोदक चावल के आटे, घी, मैदा, मावा, गुड़, सूखे मेवे, नारियल आदि से बनाया जाता है। आटे में खोपरा, गुड़, मेवा आदि भरकर उसे घी में तलकर इसे तैयार किया जाता है। उखड़ी के मोदक : इसमें चावल के आटे से मोदक बनाए जाते हैं जिसके अंदर नारियल और शक्कर के‍ मिश्रण को भरा जाता है और फिर उसे उबालकर बनाया जाता है।


5. मोदक का महत्व : गणपत्यथर्वशीर्ष में लिखा है- 'यो मोदकसहस्त्रेण यजति स वांछितफलमवाप्नोति।' अर्थात गणेशजी को एक हजार मोदक का भोग जो लगाता है उसे मनचाहा फल प्रदान प्राप्त होता है। कहते हैं कि गणेशजी का एक दांत टूटा हुआ है इसलिए गणेशजी को एकदंत कहते हैं। मोदक तलकर और उबालकर अर्थात दो तरह से बनाए जाते हैं। इसके प्रक्रिया से मोदक मोदक मुलायम और मुंह में आसानी से घुल जाने वाले होते हैं। इसलिए टूटे दांत होने पर भी गणेश जी इसे आसानी से खा लेते हैं।

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

Mangal gochar 2025: धनतेरस के बाद मंगल का वृश्चिक राशि में प्रवेश, 27 अक्टूबर से इन 4 राशियों का 'गोल्डन टाइम' शुरू

Shukra Gochar: शुक्र का कन्या राशि में गोचर, 12 राशियों का राशिफल

Tula sankranti 2025: तुला संक्रांति कब है क्या है इसका महत्व?

Diwali pushya nakshatra 2025: दिवाली के पहले पुष्य नक्षत्र कब है, 14 या 15 अक्टूबर 2025?

Govatsa Dwadashi 2025: गोवत्स द्वादशी कब है? जानें व्रत के नियम, मुहूर्त, पूजा विधि और पौराणिक कथा

सभी देखें

धर्म संसार

12 October Birthday: आपको 12 अक्टूबर, 2025 के लिए जन्मदिन की बधाई!

Aaj ka panchang: आज का शुभ मुहूर्त: 12 अक्टूबर, 2025: रविवार का पंचांग और शुभ समय

Diwali vastu tips: दिवाली पर अपनाएं ये 11 वास्तु टिप्स, घर में आएगी सुख-शांति और समृद्धि

Chhath puja 2025 date: वर्ष 2025 में कब है छठ पूजा, जानिए संपूर्ण दिनों की जानकारी

Diwali 2025: धनतेरस पर भूलकर भी उधार में ना दें ये 4 चीजें, रूठ जाती हैं मां लक्ष्मी

अगला लेख