पबुभा माणेक गुजरात की द्वारका सीट से भाजपा के उम्मीदवार हैं। बड़ी-बड़ी मूंछ और लंबा कद देखकर उन्हें कोई भी बाहुबली समझ सकता है, लेकिन हकीकत में वे 'चुनावी बाहुबली' हैं, जिन्हें पिछले 32 सालों से कृष्ण नगरी द्वारका में कोई नहीं हरा सका। पबुभा पुजारी परिवार से आते हैं। इसके चलते आसपास के पूरे इलाके में उनका अच्छा सम्मान है। इसी सम्मान के चलते वे पहली बार खेल-खेल में विधायक बन गए।
हालांकि इस बार आम आदमी पार्टी की मौजूदगी होने के कारण पबुभा त्रिकोणीय मुकाबले में उलझ गए हैं। पिछली बार भी उनकी जीत का अंतर कम था। 2017 के विधानसभा चुनाव में माणेक को 73 हजार 471 वोट मिले थे, जबकि कांग्रेस के प्रत्याशी मेरामल को 67 हजार 692 वोट मिले थे। चूंकि 2017 में जीत का अंतर तुलनात्मक रूप से कम था, इसलिए इस बार पबुभा के सामने चुनौती बड़ी है। कांग्रेस ने इस बार मालूभाई कंडोरिया को चुनाव मैदान में उतारा है।
चुनाव लड़ने की रोचक कहानी : पबुभा की चुनाव लड़ने की कहानी काफी रोचक है। 1990 में दोस्तों के कहने पर खेल-खेल में ही नामांकन दाखिल कर दिया था और चुनाव जीत भी गए थे। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। भाजपा और कांग्रेस की मौजूदगी के बावजूद 3 चुनाव तो उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जीते। 2012 से वे भाजपा के टिकट पर जीतते रहे हैं। इस बार फिर भाजपा ने उन्हें उम्मीदवार बनाया है। वे गुजरात सरकार में मंत्री भी रहे हैं।
क्या कहता है मतदाताओं का गणित : द्वारका सीट पर कुल मतदाता 2 लाख 61 हजार से ज्यादा हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में यहां 58.88 फीसदी मतदान हुआ था। इस सीट पर अनुसूचित जाति के 6.78 फीसदी मतदाता हैं, जबकि अनुसूचित जनजाति 1.29 फीसदी वोटर हैं।
मोरारी बापू को पीटने की कोशिश की थी : कहा जाता है कि 2022 में पबुभा मानेक ने कथावाचक मोरारी बापू को मारने की कोशिश की थी। दरअसल, भगवान कृष्ण पर बापू द्वारा की गई टिप्पणी से पबूभा नाराज थे। इसीलिए वे उन्हें मारने के लिए दौड़े थे, लेकिन वहां मौजूद जामनगर की सांसद पूनम मैडम और अन्य लोग मानेक को वहां से दूर ले गए।