how walking helps to control blood sugar levels: आज की भागदौड़ भरी और तकनीक-आधारित जीवनशैली में फिजिकल एक्टिविटी का समय बहुत सीमित हो गया है। लोग घंटों कंप्यूटर पर बैठे रहते हैं, घर से बाहर निकलना कम हो गया है, और फास्ट फूड की आदतें शरीर पर बुरा असर डाल रही हैं। इसका सबसे बुरा प्रभाव हमारी ब्लड शुगर लेवल यानी रक्त शर्करा पर पड़ता है।
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) और इंडियन डायबिटीज़ फेडरेशन जैसी संस्थाएं लगातार चेतावनी देती रही हैं कि अगर आप रोज़ाना कम से कम 45 मिनट की ब्रिस्क वॉक करते हैं, तो यह न सिर्फ आपकी ब्लड शुगर को कंट्रोल करता है बल्कि डायबिटीज़ के रिस्क को भी काफी हद तक घटा देता है। यह लेख बताएगा कि 45 मिनट चलने से शरीर में कौन-कौन से 5 अहम बदलाव होते हैं जो ब्लड शुगर को नेचुरल तरीके से कंट्रोल करते हैं।
1. इंसुलिन सेंसिटिविटी में होता है सुधार
जब हम चलना शुरू करते हैं, तो हमारी मांसपेशियों को एनर्जी की ज़रूरत होती है। इस समय शरीर ग्लूकोज को ऊर्जा के रूप में उपयोग करता है। इससे ब्लड में मौजूद शुगर का स्तर कम होता है और शरीर में इंसुलिन सेंसिटिविटी बढ़ जाती है। इंसुलिन सेंसिटिविटी जितनी अच्छी होगी, उतनी ही आसानी से शरीर ग्लूकोज को उपयोग में ले सकेगा और हाई ब्लड शुगर का खतरा कम होगा। रोज़ 45 मिनट वॉक करने से यह संवेदनशीलता नेचुरली सुधारती है।
2. फैट बर्निंग में तेजी आती है, जिससे शुगर भी कंट्रोल होता है
वॉकिंग सिर्फ कैलोरी बर्न नहीं करती, बल्कि शरीर की चयापचय प्रक्रिया (Metabolism) को तेज़ करती है। जब हम रोज़ाना चलते हैं, तो शरीर पहले जमा फैट को जलाता है और ब्लड में घुली अतिरिक्त ग्लूकोज को ऊर्जा के लिए इस्तेमाल करता है। इससे शरीर की ग्लूकोज रेजिस्टेंस कम होती है और ब्लड शुगर नियंत्रित रहता है। यह डायबिटीज के मरीजों के लिए बेहद असरदार घरेलू उपाय माना जाता है।
3. पेट और पैंक्रियाज की कार्यप्रणाली बेहतर होती है
नियमित वॉकिंग से पाचन क्रिया तेज होती है और लीवर व पैंक्रियाज की कार्यक्षमता में सुधार होता है। पैंक्रियाज ही वह अंग है जो इंसुलिन हार्मोन बनाता है। जब इसकी कार्यक्षमता अच्छी होती है तो इंसुलिन पर्याप्त मात्रा में बनता है और ग्लूकोज को नियंत्रित करता है। रिसर्च बताते हैं कि जो लोग रोजाना तेज वॉक करते हैं, उनमें पैंक्रियाज हेल्दी रहता है और ब्लड शुगर का स्तर स्थिर रहता है।
4. तनाव कम होता है, जिससे हार्मोनल बैलेंस सुधरता है
जब हम वॉक करते हैं तो हमारा दिमाग एंडोर्फिन नामक हैप्पी हार्मोन छोड़ता है, जो मानसिक तनाव को कम करता है। तनाव में शरीर कोर्टिसोल हार्मोन रिलीज करता है, जो ब्लड शुगर को बढ़ा सकता है। लेकिन रोज़ाना 45 मिनट की वॉक तनाव को घटाती है और हार्मोनल संतुलन बनाए रखती है। इसका डायरेक्ट असर आपकी ब्लड शुगर पर पड़ता है, खासकर अगर आप स्ट्रेस ईटिंग के शिकार रहते हैं।
5. नींद की गुणवत्ता में सुधार, जिससे ब्लड शुगर कंट्रोल रहता है
रात की अच्छी नींद ब्लड शुगर के लिए उतनी ही जरूरी है जितना अच्छा खानपान। 45 मिनट की नियमित वॉक से नींद गहरी होती है और नींद के दौरान शरीर बेहतर तरीके से ग्लूकोज को प्रोसेस करता है। नींद की खराब गुणवत्ता को डायबिटीज के मुख्य कारणों में माना जाता है। वॉक इस समस्या को प्राकृतिक रूप से ठीक करता है।
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