शोध - जानिए लॉन्ग कोविड सिंड्रोम का मुख्य कारण, वैज्ञानिकों ने किया बड़ा खुलासा

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कोरोना की रफ्तार पहले से काफी हद तक कम हो गई है। लेकिन कोविड की दूसरी चपेट में कई लोग आ गए थे। हलांकि कोविड रिपोर्ट तो नेगिटिव आ गई है लेकिन कोरोना के साइड इफेक्‍ट ने जैसे लोगों को जकड़ लिया है। गंभीर रूप से कोरोना से बीमार हुए लोगों में पोस्‍ट कोविड लक्षण या लॉन्‍ग कोविड सिंड्रोम नजर आएं। जिसका प्रभाव अभी भी जारी है।कोविड रिपोर्ट नेगिटिव आने के बाद भी कई तरह की बीमारियों हो रही है। जिनमें ब्‍लैक फंगस प्रमुख रूप से है। साथ ही बाल गिरना, कमजोरी लगना, थकान रहना, हाथ-पैरों में दर्द रहना लक्षण नजर आ रहे हैं। साथ कई लोग कोविड के इलाज के बाद डायबिटीज का शिकार हो गए है। कोविड से ठीक होने वाले लोगों में स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याओं को लॉन्‍ग कोविड के रूप में देखा है। हाल ही में लॉन्‍ग कोविड पर एक शोध किया गया। जिस पर वैज्ञानिकों का कहना है कि जिसमें भी रक्‍त के थक्‍के बनने की समस्‍या रही है, उन लोगों में कोविड के लक्षण गंभीर हो सकते हैं।  

वैज्ञानिकों ने 50 लोगों पर किया सर्वे

आरसीएसआई यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिसिन एंड हेल्‍थ साइंसेज में वैज्ञानिकों ने 50 रोगियों पर अध्‍ययन किया। इस दौरान शोधकर्ताओं ने यह देखने की कोशिश की क्‍या रक्‍त के थक्‍के बनने के लक्षणों को लॉन्‍ग कोविड के रूप में देखा जा सकता है? वहीं जर्नल ऑफ थ्रोम्‍बोसिस एंड हेमेास्‍टेसिस में एक स्‍टडी प्रकाशित हुई। इसमें वैज्ञानिकों ने बताया कि लॉन्‍ग कोविड सिंड्रोम वाले रोगियों में ब्‍लड क्‍लॉटिंग मार्कर देखे गए हैं। अध्ययन के आधार पर रक्‍त के थक्‍के बनना लॉन्‍ग कोविड सिंड्रोम का कारण माना जा सकता है।  


शोधकर्ता - वैज्ञानिकों के मुताबिक कोरोना से ठीक होने के बाद लोग सामान्‍य स्थिति में तो आ रहे हैं लेकिन इसके बाद भी रोगियों में रक्‍त के थक्‍के बनने की समस्‍यास देखी जा रही है। लेखक हेलेन फोगार्टी कहते हैं, कोविड के बाद अधिकतर लोगों में खून के थक्‍के देखे जा रहे हैं। किए गए शोध से समझ आता है कि खून के थक्‍के जमना लॉन्‍ग कोविड के मुख्‍य कारणों में से एक है। किसी भी  प्रकार  की बीमारी के मुख्‍य कारण को समझना जरूरी है।

निष्‍कर्ष - आरसीएसआई यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर जेम्‍स ओ'डॉनेल कहते हैं कि दुनिया में लाखों लोग कोविड संडि्रेाम का शिकार हुए है। दूसरा कारण यह भी है कि कोविड के वेरिएंट्स लगातार बदलते रहे। ऐसे हालात में आने वाले समय में लॉन्‍ग कोविड के मरीजों की संख्‍या बढ़ सकती है। इस पर लगातार अध्‍ययन करना बेहद जरूरी है। कोविड का इलाज कर रहे डॉक्‍टर्स को ब्‍लड क्लोटिंग जैसी समस्‍या पर भी  ध्‍यान देना जरूरी है।
 

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