बढ़ रही है लगातार खांसी रहने की समस्या

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गुरुवार, 14 जुलाई 2016 (13:10 IST)
रितेश थापा                                                                                           
खांसी-जुकाम ऐसी समस्या है, जिससे हम सभी परिचित हैं। यह एक रक्षात्मक प्रणाली है जो बलगम, धूल अथवा धुएं के वायु मार्ग को साफ करने के लिए घटित होती है। हालांकि, जब खांसी हमेशा रहने लगती है, तब नैदानिक परीक्षण करना महत्वपूर्ण हो जाता है। यदि खांसी की समस्या दो सप्ताह में ठीक नहीं होती है तब इसे नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए और इस पर फौरन ध्यान देना चाहिए।
 
 
पटना के श्री यादव (बदला हुआ नाम) लगभग तीन हफ्तों से अपनी खांसी को नजरअंदाज कर रहे थे। रात में समस्या बढ़ने के कारण उनकी रात की नींद पूरी नहीं हो पाती और वे थकावट महसूस करते। पिछले कुछ दिनों से वे असहज महसूस कर रहे थे। इससे उनकी निजी जिंदगी के साथ ही साथ कार्य प्रदर्शन पर भी असर पड़ रहा था। उन्हें मामूली खांसी हुई थी, लेकिन एक दिन खून से भरा बलगम आने पर उन्हें अचानक सदमा लगा। विशेषज्ञों के अनुसार शुरूआत में छाती में हल्के-फुल्के दर्द के साथ खांसी को नजरअंदाज करना स्वास्थ्य समस्या के गंभीर होने का प्रमुख कारण रहा। 
 
डॉ. जे.के समारिया एचओडी चेस्ट मेडिसिन, BHU and Hon. Secretary, Indian Chest Society के अनुसार, ‘‘बिहार में मौसम में अचानक बदलाव होने, धूल, धुएं और प्रदूषण के कारण श्री यादव का मामला बेहद आम है। इस तरह की घटनाओं में, मरीजों को विशिष्ट चिकित्सा की आवश्यकता है जो कि उन्हें सूखी खांसी के लक्षणों से राहत प्रदान करते हैं और इससे उनकी जिंदगी भी बेहतर होती है। इस तरह वे अपने दैनिक कामों को आसानी के साथ बेहतर ढंग से करने में सक्षम होते हैं।‘‘
 
सूखी खांसी गैर-उपयोगी कफ के रूप में परिभाषित किया जाता है जिसका मतलब है कि इसमें बहुत कम अथवा बिल्कुल भी बलगम नहीं निकलता। यह जलन करने वाली होती है और गले में खराश पैदा करती है। कुछ मामलों में, यह नाक संबंधी एलर्जी, एसिडिटी, अस्थमा, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) अथवा ट्युबरकुलोसिस (टीबी) हो सकता है। इसलिए, व्यक्ति को यदि ज्यादा दिन तक खांसी आए तो उसे डॉक्टर के पास जरूर जाना चाहिए।
 
डॉ. जेके समारिया ने बेहतर खांसी प्रबंधन की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने कहा, ‘‘यदि खांसी लंबे समय से आ रही है और साथ ही बलगम में खून निकल रहा है तो डॉक्टर से अवश्य विचार-विमर्श करना चाहिए। ऐसी घटनाओं में लगातार बढ़ोतरी देखी जा रही है। विशेषज्ञ डॉक्टर के तौर पर, हमारे लिए महत्वपूर्ण है कि हम नैदानिक रूप से प्रमाणित दक्षता के साथ सर्वथा उपयुक्त मेडिकेशन की सलाह दें। कोडीइन आधारित कफ सप्रेसेंट कई वर्षों से मरीजों को दिए जा रहे हैं, क्योंकि यह सूखी खांसी के लिए लाक्षणिक राहत और उपचार के लिए गोल्ड स्टैंडर्ड हैं। हालांकि, मेडिकेशन की इस श्रेणी के अत्यधिक सामर्थ्य के कारण डॉक्टरों के प्रेस्क्रिप्शन पर ही कोडीइन आधारित कफ सीरप्स की बिक्री का अनुसरण करना बहुत जरूरी है।‘
 
सूखी खांसी के उपचार के लिए बहुत अधिक प्रभावी विकल्प उपलब्ध नहीं है। बेहतर दक्षता और मरीजों की संख्या के आधार पर जिन्होंने पिछले कुछ वर्षों से कोडीइन जैसी एंटीट्यूसिव्स दवा को लेकर सकारात्मक प्रतिसाद दिया है, सूखी खांसी के उपचार के लिए पसंदीदा विकल्प बनी रहेंगी। इनसे कृत्रिम रूप से हुए, रोग-संबंधित अथवा अस्पष्ट सूखी खांसी का उपचार जारी रखा जाएगा।
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