रामकथा पर आधृत उपन्यास : अभ्युदय

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‘अभ्युदय’ रामकथा पर आधृत हिन्दी का पहला और महत्त्वपूर्ण उपन्यास है। ‘दीक्षा’, ‘अक्सर’, ‘संघर्ष की ओर’ तथा ‘युद्ध’ के अनेक सजिल्द, अजिल्द तथा पॉकेटबुक संस्करण प्रकाशित होकर अपनी महत्ता एवं लोकप्रियता प्रमाणित कर चुके हैं। महत्त्वपूर्ण पत्र पत्रिकाओं में इसका धारावाहिक प्रकाशन हुआ है। उड़िया, कन्नड़, मलयालम, नेपाली, मराठी तथा अंग्रेजी में इसके विभिन्न खण्डों के अनुवाद प्रकाशित होकर प्रसंशा पा चुके हैं। 
 
इसके विभिन्न प्रसंगों के नाट्य रूपांतर मंच पर अपनी क्षमता प्रदर्शित कर चुके हैं तथा परंपरागत रामलीला मण्डलियां इसकी ओर आकृष्ट हो रही हैं। यह प्राचीनता तथा नवीनता का अद्भुत संगम है। इसे पढ़कर आप अनुभव करेंगे कि आप पहली बार एक ऐसी रामकथा पढ़ रहे हैं, जो सामयिक, लौकिक, तर्कसंगत तथा प्रासंगिक है। यह किसी अपरिचि‍त और अद्भुत देश तथा काल की कथा नहीं है। यह इसी लोक और काल की, आपके जीवन से संबंधि‍त समस्याओं पर केन्द्रित एक ऐसी कथा है, जो सार्वकालिक और शाश्वत है और प्रत्येक युग के व्यक्ति का इसके साथ पूर्ण तादात्म्य होता है।
 
‘अभ्युदय’ प्रख्यात कथा पर आधृत अवश्य है, किन्तु यह सर्वथा मौलिक उपन्यास है, जिसमें न कुछ अलौलिक है, न अतिप्राकृतिक। यह आपके जीवन और समाज का दर्पण है। पिछले पच्चीस वर्षों में इस कृति ने भारतीय साहित्य में अपना जो स्थान बनाया है, हमें पूर्ण भारतीय है कि वह क्रमश: स्फीत होता जाएगा, और बहुत शीघ्र ही ‘अभ्युदय’ कालजयी क्लासिक के रूप में अपना वास्तविक महत्त्व तथा गौरव प्राप्त कर लेगा।
 
 
लेखक का परिचय : नरेन्द्र कोहली का जन्म 6 जनवरी 1940, सियालकोट (अब पाकिस्तान) में हुआ। दिल्ली विश्वविद्यालय से 1963 में एम.ए. और 1970 में पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त की। शुरू में पीजीडीएवी कॉलेज में कार्यरत फिर 1965 से मोतीलाल नेहरू कॉलेज में। 
 
बचपन से ही लेखन की ओर रुझान और प्रकाशन किंतु नियमित रूप से 1960 से लेखन । 1995 में सेवानिवृत्त होने के बाद पूर्ण कालिक स्वतंत्र लेखन। कहानी¸  उपन्यास, नाटक और व्यंग्य सभी विधाओं में अभी तक उनकी लगभग सौ पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं। महाभारत की कथा को अपने उपन्यास "महासमर" में समाहित किया है। 
 
पुस्तक : अभ्युदय
लेखक : नरेन्द्र कोहली
प्रकाशक : वाणी प्रकाशन 
मूल्य : 1000 रूपए हार्ड कवर 

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