चोर पर वैसे तो बहुत सी कहावतें प्रसिद्ध है, जैसे "चोर चोरी से जाये, हेराफेरी से न जाये", "चोर की दाढ़ी में तिनका", "चोर के पेट मे दाढ़ी" आदि।
किन्तु आज हम "चोर चोर मौसेरे भाई" इस कहावत का गहराईपूर्वक विश्लेषण करेंगे।
इस विश्लेषण से निम्न महत्वपूर्ण बिंदू निकलकर सामने आते हैं-
किन्ही भी चोरों का आपस मे भाई होना आवश्यक है।
चोरों की माँ का भी आपस में बहनें होना आवश्यक है।
चोरी के गुण पारिवारिक होते हैं।
चोरी के गुणों का रक्तबीज माँ के खानदान से आता है, क्योंकि उधर मौसी का लड़का भी चोर होता है।
चचेरे भाई का चौर्यकर्म से कोई लेना देना नहीं होता, न हिस्से-बांटे होते हैं। वरना कहावत होती चोर चोर चचेरे भाई....
चोर आपस में बाप-बेटे नहीं हो सकते।
चोर चोर मौसेरे भाई होते हैं यानी मौसेरी बहनें चोर नहीं होती।
जिस महिला की कम से कम दो लड़कियां हो वही चोरों की नानी होने की पात्रता रखती है।