मूर्ख दिवस पर कविता : अप्रैल फूल डे पर कढ़ी महात्म्य!

डॉ. अंजना चक्रपाणि मिश्र
April Fools Day
 
बहुत जुगत लिया लगाय
पर सूझे न कोई उपाय
तीव्रमती पड़ोसन को
कैसे बनाया मूरख जाय
सहसा बुद्धि में द्रुत गति से 
एक सितारा चमका
और मूर्ख बनाने का
अद्भुत आइडिया आ धमका 
त्वरित वेग से 
उसे मैंने लिया लपक
उस सौन्दर्यमती को
कढ़ी का था शौक़
उसी दम गैस जलाकर
पतीला पानी का चढ़ाया
उबाल आते तनिक
हल्दी को उसमें दौड़ाया 
फिर पतीले में भरकर
पड़ोसन को कढ़ी बता
घर फौरन उसके पहुंचाया
उधर वो भात बना कर
डाइनिंग टेबल पर 
कर रहीं थीं इंतज़ार 
आये कढ़ी तो 
भोजन करे परिवार
मन में उफन रहे थे
चटपटे सुस्वादु विचार
समाप्त हुई प्रतीक्षा
हाथ में गर्म पतीला आया
चावल परस उन्होंने
ढक्कन ज्यों हटाया
अप्रैल फूल का पर्चा
पानी पर तैरता पाया
अपनी मूर्खता पर उन्हें 
सहज हंसी संग 
मुख पर पसीना आया
ऐसे मैंने उस वर्ष
मूर्ख दिवस मनाया !

ALSO READ: एक अप्रैल पर कविता : अप्रैल फूल

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

क्या अपने पालतू जानवर के साथ एक बेड पर सोना है सही? जानिए क्या कहते हैं विशेषज्ञ

बदलते भारत में सेक्स बदलने की होड़, हॉर्मोन की गड़बड़ी या कोई मनोविकृति?

10 दिनों तक खाली पेट पिएं दालचीनी का पानी, फायदे जानकर रह जाएंगे दंग

ब्लड प्रेशर कंट्रोल करने में मददगार हैं आसानी से मिलने वाले ये 9 आयुर्वेदिक हर्ब्स

ये है मोबाइल के युग में किताबों का गांव, पढ़िए महाराष्ट्र के भिलार गांव की अनोखी कहानी

सभी देखें

नवीनतम

National Doctors Day 2025: डॉक्टर्स डे क्यों मनाते हैं, जानें इतिहास, महत्व और 2025 की थीम

मानसून में सब्जियों की सफाई में अपनाएं ये जरूरी टिप्स, नहीं होगा बीमारियों का खतरा

जगन्नाथ रथयात्रा: जन-जन का पर्व, आस्था और समानता का प्रतीक

क्या आप भी शुभांशु शुक्ला की तरह एस्ट्रोनॉट बनना चाहते हैं, जानिए अंतरिक्ष में जाने के लिए किस डिग्री और योग्यता की है जरूरत

शेफाली जरीवाला ले रहीं थीं ग्लूटाथियोन, क्या जवान बने रहने की दवा साबित हुई जानलेवा!

अगला लेख