पानी पर कविता : कल का जल...

सुशील कुमार शर्मा
जल ही जीवन जल सा जीवन, जल्दी ही जल जाओगे, 
अगर न बची जल की बूंदें, कैसे प्यास बुझाओगे।


 
नाती-पोते खड़े रहेंगे जल, राशन की कतारों में, 
पानी पर से बिछेंगी लाशें, लाखों और हजारों में।
 
रिश्ते-नाते पीछे होंगे, जल की होगी मारामारी, 
रुपयों में भी जल न मिलेगा, जल की होगी पहरेदारी। 
 
हनन करेंगे शक्तिशाली, नदियों के अधिकारों का, 
सारे जल पर कब्जा होगा, बाहुबली मक्कारों का।
 
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