किसे कहें?

डॉ. रामकृष्ण सिंगी
वे ले भागे बैंकों का धन। 
जब तक खबर लगी हमको। 
कितने ही कर चुके अतिक्रमण। 
जब तक खबर लगी हमको।। 
 
दुखी अबलाओं ने कर लिया आत्मदहन। 
जब तक खबर लगी हमको। 
व्यापमं से हुए अनगिन फर्जी एडमिशन। 
जब तक खबर लगी हमको।। 
 
बंट गए अपनों को पद्मश्री अलंकरण। 
जब तक खबर लगी हमको। 
पुत्र ने किया वित्तमंत्री की सत्ता का दोहन।
जब तक खबर लगी हमको।। 
 
त्रस्त किसानों के अनगिनत दुखदाई मरण। 
अन्दर तक घुस हो गए आतंकी आक्रमण।
जब तक खबर लगी हमको।। 
 
जाने ऐसी भोर कब आएगी। 
कि घटना के पहले हमें खबर लग जाएगी।। 
लगे हैं हजारों चौकीदार, ऑडिटर, इंस्पेक्टर,
विजीलेंस, जासूस या खुफिया एजेंट। 
अफसोस! न कोई रोक पाया ये काले कारनामे,
सीनाजोरियां, सफेदपोश डाके या कथित एक्सीडेंट।। 
 
सटीक है वह शेर
'यह माना तुम कि तग़ाफुल न करोगे लेकिन,
खाक़ हो जाएंगे हम तुम को ख़बर होने तक।।'
 
तग़ाफुल = विलम्ब, लापरवाही

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