कविता: मैं ठोकरें बहुत खाता हूं...

सलिल सरोज
मैं ठोकरें बहुत खाता हूं,
तुम साथ चल सको तो चलो।
 
मैं झूठ कम बोलता हूं,
सच से बहल सको तो चलो।
 
जमाना रोज ही बदलता है,
तुम गर ठहर सको तो चलो।
 
दिल मेरा शौकिया रूठता है,
तुम इसे मना सको तो चलो।
 
तबीयत यूं भी मचलती है,
तुम मुझे संभाल सको तो चलो।
 
जिस्म शर्मीले जेवर पहनता है,
तुम सबको उतार सको तो चलो।
 
सरे-बाजार अक्सर शायर बिकता है,
नज्में जो खरीद सको तो चलो।
 

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

इन 6 तरह के लोगों को नहीं खाना चाहिए आम, जानिए चौंकाने वाले कारण

बहुत भाग्यशाली होते हैं इन 5 नामाक्षरों के लोग, खुशियों से भरा रहता है जीवन, चैक करिए क्या आपका नाम है शामिल

करोड़पति होते हैं इन 5 नामाक्षरों के जातक, जिंदगी में बरसता है पैसा

लाइफ, नेचर और हैप्पीनेस पर रस्किन बॉन्ड के 20 मोटिवेशनल कोट्स

ब्लड प्रेशर को नैचुरली कंट्रोल में रखने वाले ये 10 सुपरफूड्स बदल सकते हैं आपका हेल्थ गेम, जानिए कैसे

सभी देखें

नवीनतम

लहसुन और प्याज खाने के फायदे

मिस वर्ल्ड 2025 के ताज से जुड़ी ये 7 बातें जो बनातीं हैं इसे बहुत खास, जानिए क्राउन कीमत से लेकर हर डीटेल

विकास दिव्यकीर्ति सर की पसंदीदा ये 4 किताबें बदल सकती हैं आपकी जिंदगी!

कौन हैं भारतीय नौसेना की दो बहादुर महिला अधिकारी जिन्होंने 8 महीनों में तय किया 50,000 किलोमीटर का समुद्री सफ़र, प्रधानमंत्री ने की सराहना

औरंगजेब के द्वारा काशी विश्वनाथ मंदिर तोड़े जाने के बाद अहिल्याबाई होलकर ने किया था इसका पुनर्निर्माण, प्रधानमंत्री मोदी ने बताया इतिहास

अगला लेख