नए साल पर कविता : स्वागत नव-वर्ष का...

डॉ. रामकृष्ण सिंगी
विदा होते वर्ष अठारह की यह विदाई-आशीष हो। 
नवागत वर्ष किसी भी पैमाने पर न विगत वर्ष से उन्नीस हो।।1।।

 
विकास का हो नव-जनवरी, सहिष्णुता-सुरभि फरवरी-मार्च की। 
नव-सफलताओं भरा अप्रैल हो, उपलब्धियों से सजे मई ।।
उभरें खुशियां चारों तरफ, उदासी न रह जाए कहीं ।। 2।।
 
विषमताएं मिटाता हो जून माह, नव-संकल्पों भरा जुलाई हो। 
अगस्त हो नए अहसासों भरा, फसल भरे खेतों में सितंबरी तरुणाई हो ।। 3।।
 
अक्टूबर हो वैज्ञानिकी हौसलों का, नवंबर नष्ट करे उग्रवादी घातें। 
हजार उपलब्धियों की श्रृंखला सजी हों, दिसंबर माह के आते-आते ।। 4।।
 
इन्हीं इरादों / अभिलाषाओं के साथ स्वागत हम करें नव-वर्ष का। 
मलिनताओं से सतत संघर्ष का, चतुर्दिश खुशहाली का उत्कर्ष का ।।5।।

सम्बंधित जानकारी

Show comments

दादी-नानी की भोजन की ये 8 आदतें सेहत के लिए हैं बहुत लाभकारी

ये है सनबर्न का अचूक आयुर्वेदिक इलाज

गर्मियों में ट्राई करें ये 5 लिपस्टिक शेड्स, हर इंडियन स्किन टोन पर लगेंगे खूबसूरत

गर्मियों में हाथों को खूबसूरत बनाएंगे ये 5 तरह के नेल आर्ट

आखिर भारत कैसे बना धार्मिक अल्पसंख्यकों का सुरक्षित ठिकाना

क्या आपको भी हो गई है आयोडीन की कमी? अपनाएं ये 5 आयुर्वेदिक उपचार

गर्भवती महिलाओं को क्यों नहीं खाना चाहिए बैंगन? जानिए क्या कहता है आयुर्वेद

डेंगू दिवस पर जानें 2024 की थीम और सावधानियां

हिंदी कविता : चला सखी घूम आई माई के दुआरे

प्रख्यात कथाकार मालती जोशी का निधन

अगला लेख