हिन्दी कविता : दाना दु:ख है मुझे...

सुशील कुमार शर्मा
प्रश्नों पर प्रश्नचिन्ह,
उत्तरों पर पहरे हैं।


 
देश मेरा आगे बढ़ रहा है,
दाना मांझी गिड़गिड़ा रहा है।
 
अस्पताल के भेड़िए लगा रहे हैं ठहाका,
बेटी मां की लाश के पास बैठी रो रही है।
 
अमंग देई की लाश कैसे जाएगी साठ मील दूर,
दाना के पास जेब में नहीं है फूटी कौड़ी।
 
लाश को कपड़े में लपेटकर,
रस्सी से बांधकर कंधे पर उठाकर।
 
रोती बेटी का हाथ थामकर,
चल पड़ता है दाना अपने गांव की ओर।
 
सभ्य समाज के ठेकेदार सड़क के दोनों ओर से,
देख रहे थे उस ठठरी को कांधे पर।
 
थोथी संवेदनाओं का लगा था अम्बार,
दाना का निस्पृह भावहीन चेहरा।
 
तिल-तिलकर खोल रहा था पोल,
मरती हुई मानवी संवेदनाओं की।
 
खबरों के ठेकेदार खींच रहे थे फोटो,
अपनी टीआरपी बढ़ाने के लिए।
 
कोस रहे थे सोती सरकारों को,
दे रहे थे दुहाई सत्य बोलने की।
 
बारह किलोमीटर तक एक गरीब की लाश,
बनी रही थिएटर सब देख रहे थे तमाशा।
 
सरकारें सोती रहीं,
मीडिया चिल्लाता रहा।
 
सभ्य समाज हंसता रहा,
बेटी रोती रही।
 
दाना कंधे पर लाश ढोता रहा,
मेरा देश आगे बढ़ता रहा।
Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

रसोई की इन 7 चीजों में छुपा है आपका स्किन ब्राइटनिंग सीक्रेट, तुरंत जानें इनके बेहतरीन फायदे

Health Alert : कहीं सेहत के लिए हानिकारक तो नहीं है सहजन की फली?

सॉफ्ट आटा गूंथने के 4 सही तरीके, रोटियां बनेंगी फूली हुई और मुलायम

आपके घर के किचन में छुपा है आयल फ्री त्वचा का राज, जानिए ये होममेड क्लींजर बनाने का तरीका

ऑफिस में बनाना चाहते हैं बढ़िया इमेज तो भूलकर भी ना करें ये गलतियां

सभी देखें

नवीनतम

एक हफ्ते में कम करना चाहते हैं वजन तो ये डिटॉक्स डाइट अपनाएं, तुरंत दिखेगा असर

बदलते मौसम में एलर्जी की समस्या से हैं परेशान? राहत के लिए अपनाएं ये 5 आयुर्वेदिक उपाय

ठंड के सीजन में फटने लगी है त्वचा? तो अपनाएं सबसे असरदार और नैचुरल उपाय

भारतीय लोगों पेट के आस-पास चर्बी क्यों जमा हो जाती है? जानें कारण और समाधान

सुबह की एलर्जी और बंद नाक से राहत का अचूक प्राकृतिक उपाय है कपाल रंध्र धौती, जानिए कैसे है ये फायदेमंद

अगला लेख