हिन्दी कविता : हारना

राकेशधर द्विवेदी
वैसे तो हारना एक 
दु:खदायी क्रिया है
लेकिन कभी-कभी यह
सुखदायी भी हो जाता है।
 
जैसे हम हार जाते 
हैं किसी छोटे से 
बच्चे से खेल में
और खुश होते हैं
उसकी जीत की खुशी में
ताली बजाने पर।
 
या फिर हार जाते हैं
बड़े-बड़े सूरमा, वीर
किसी नवयुवती की 
सुन्दर मुस्कान के समक्ष।
 
वैसे ही अक्सर 
हार जाते हैं लोगों की 
आशाएं, आस-विश्वास
वादा इत्यादि अनेक 
स्वनामधन्य जनप्रतिनिधि 
सामान्य जन को यह समझाते हुए
कि हार के बाद ही जीत है।

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

विवाह के बाद गृह प्रवेश के दौरान नई दुल्हन पैर से क्यों गिराती है चावल से भरा कलश? जानिए क्या है इस रस्म के पीछे का कारण

सावधान! धीरे धीरे आपको मार रहे हैं ये 6 फूड्स, तुरंत जानें कैसे बचें

Easy Feetcare at Home : एल्युमिनियम फॉयल को पैरों पर लपेटने का ये नुस्खा आपको चौंका देगा

जानिए नवजोत सिद्धू के पत्नी के कैंसर फ्री होने वाले दावे पर क्या बोले डॉक्टर्स और एक्सपर्ट

Winter Fashion : सर्दियों में परफेक्ट लुक के लिए इस तरह करें ओवरसाइज्ड कपड़ों को स्टाइल

सभी देखें

नवीनतम

सार्थक बाल साहित्य सृजन से सुरभित वामा का मंच

महंगे क्रीम नहीं, इस DIY हैंड मास्क से चमकाएं हाथों की नकल्स और कोहनियां

घर में बेटी का हुआ है जन्म? दीजिए उसे संस्कारी और अर्थपूर्ण नाम

क्लटर फ्री अलमारी चाहिए? अपनाएं बच्चों की अलमारी जमाने के ये 10 मैजिक टिप्स

आज का लाजवाब चटपटा जोक : अर्थ स्पष्ट करो

अगला लेख