काव्य गीत : विदा

सुशील कुमार शर्मा
गुरुवार, 24 अप्रैल 2025 (14:53 IST)
लो कर दिया सब कुछ विदा अब
यादें तुम्हारी, प्रेम अपना,
आज से विस्मृत किया सब।
 
शून्य पथ के मौन तारों में तुम्हीं थे।
मौज जीवन की बहारों में तुम्हीं थे।
हृदय में दीप बनकर विराजे
नेह के नूतन नज़ारों में तुम्हीं थे।
 
बातें तुम्हारी, नेह सपना,
आज से विस्मृत किया सब।
 
दूरियां इतनी हैं कि अब आहें न पहुंचें।
अब कभी तुम तक ये राहें न पहुंचें।
वह हंसी, वह स्पर्श, वह बातें पुरानी।
अब गले तक वो तुम्हारी बाहें न पहुंचें।
 
दर्द तुमने दिया, सहूं कितना ,
आज से विस्मृत किया सब।
 
लो विसर्जन आज उस मधुमास का भी।
साथ में विसर्जन तुम्हारे साथ का भी।
जो कभी था प्यार से भी मुझे प्यारा
विसर्जन उस सुहाने हाथ का भी
 
खो गया जो था कभी अपना,
आज से विस्मृत किया सब।
 
(वेबदुनिया पर दिए किसी भी कंटेट के प्रकाशन के लिए लेखक/वेबदुनिया की अनुमति/स्वीकृति आवश्यक है, इसके बिना रचनाओं/लेखों का उपयोग वर्जित है...)
 

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

कौन था वह राजकुमार, जिसकी हत्या विश्व युद्ध का कारण बन गई? जानिए कैसे हुई World War 1 की शुरुआत

कौन हैं भारत के सबसे अमीर मुस्लिम? भारत के सबसे बड़े दानवीर का खिताब भी है इनके नाम

डॉलर या पाउंड नहीं, ये है दुनिया की सबसे महंगी करेंसी, जानिए इसके मुकाबले कहां ठहरता है आपका रुपया

बरसात के मौसम में ये 5 आसान योगासन कर सकते हैं आपकी इम्युनिटी की रक्षा

सदाबहार की पत्तियां चबाकर खाने के ये 7 फायदे नहीं जानते होंगे आप

सभी देखें

नवीनतम

इन दिनों सोशल मीडिया पर ट्रेंड में है इस तरह की फ्रेंड्स थ्योरी, क्या आपके फ्रेंड सर्कल में हैं ये 7 तरह के लोग

इस वजह से हर साल अगस्त में मनाया जाता है फ्रेंडशिप डे, क्या है इस खास दिन का इतिहास?

बरसात में बढ़ रहे स्किन पर पिंपल्स? बचने के लिए रोज रात करें बस ये एक काम

रोज का खाना बनाने में भूलकर भी न करें इन 3 ऑयल्स का यूज, हेल्थ पर डाल सकते हैं बुरा असर

ये हैं भारत के 5 बड़े मुस्लिम कारोबारी, जानिए किस मशहूर ब्रांड के हैं मालिक और कितनी है संपत्ति

अगला लेख