कविता: बूढ़े होंगे हम...

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-विजय शर्मा
 
बूढ़े होंगे, बूढ़े होंगे हम,
एक न एक दिन कूड़े होंगे हम।
 
कोई न पूछेगा हमको,
कहेगा हमसे हो तुम कौन?
 
चलो करें कुछ ऐसा काम,
रहे जाने के बाद नाम।
 
कुछ बच्चों को रोज हसाएं,
उनको यह दुनिया दिखलाएं।
 
बतलाएं उनको दुनिया है गोल,
जो बोल सोच-समझ के बोल।

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