कविता : मधुमास

सुशील कुमार शर्मा
है आसपास,
स्वप्निल गुंजित मधुमास।
 
तुंग हिमालय के स्वर्णाभ शिखर,
अरुणिम आभा चहुंओर बिखर।
 
नव्य जीवन का रजत प्रसार,
मधुकर-सा गुंजित अपार।
 
सुरभित मलयज मंद पवन,
नील निर्मल शुभ्र गगन।
 
मृदु अधरों पर मधु आमंत्रण,
नयनों का है नेह निमंत्रण।
 
बासंती सोलह सिंगार,
सतरंगी फूलों की बहार।
 
पीत पुष्प आखर से,
उपवन हैं बाखर से।
 
शतदल खिली कमलिनी,
गंधित रसवंती कामिनी।
 
कंपित अधरों का मकरंद,
किसलय कंपित मन के छंद।
 
मंजरियों में बौराई आमों की गंध,
अभिसारी गीतों में प्रेम के आबंध। 

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

मां गंगा के पवित्र नाम पर दें बेटी को प्यारा सा नाम, पौराणिक हैं अर्थ

हर्षा रिछारिया से पहले चकाचौंध छोड़ अध्यात्म की राह पर निकलीं ये मशहूर एक्ट्रेसेस, संन्यास को बनाया जीवन

रात में बच्चों के कपड़े क्यों नहीं सुखाने चाहिए घर से बाहर, जानिए सच्चाई

पीरियड्स में महिला नागा साधु कैसे करती हैं महाकुंभ में स्नान, ये हैं नियम

76th Republic Day : गणतंत्र दिवस पर 10 लाइन में निबंध

सभी देखें

नवीनतम

शिक्षक और छात्र का मजेदार चुटकुला: गणतंत्र दिवस क्यों मनाया जाता है ?

नए साल में तनावमुक्त रहने के लिए अपनाएं ये आसान उपाय

2025 में कब है स्वामी श्री रामानंदाचार्य की जयंती, जानें कैसे मनाई जाती है?

सर्दियों में रोजाना हॉट चॉकलेट पीने से क्या होता है सेहत पर असर

कौन हैं नीरज चोपड़ा की दुल्हनिया हिमानी मोर, कहां ली है एजुकेशन और टेनिस से क्या है नाता

अगला लेख