जन्माष्टमी पर कविता : कृष्ण मुझे अपना लो

सुशील कुमार शर्मा
सोमवार, 26 अगस्त 2024 (14:40 IST)
मोर मुकुट पीतम्बर धारी
तुम ब्रज के हो रसिया।
नन्द जसोदा के तुम लाला
तुम सबके मन बसिया।
बिना तुम्हारे इस दुनिया में
कोई नहीं सहारो।
मूढ़मति सब तुमने तारे
अब मुझको भी तारो।
कोई नहीं मेरा इस जग में
कृष्ण मुझे अपना लो।
 
सब दीनों के तुम रखवाले
सबके पालन हारी।
मैं दीनों का दीन चरण में
अब तो सुनो बिहारी।
लाख बुराई मेरे अंदर
पर तुमको है पूजा।
मात्र एक ही तुम सच्चे हो
और नहीं है दूजा।
इस भव सागर के भंवरों से
प्रभु जी मुझे निकालो।
 
मद से भरा हृदय है मेरा
कटु वाणी मन कपटी।
स्वार्थ सरोवर में मन डूबा
अवगुण बुद्धि लिपटी।
बीती उमर ज्ञान नहीं पाया
भव चक्कर में उलझा।
नहीं रास्ता है अब कोई
तू ही अब सब सुलझा।
दुःख भरे निर्मम कांटों से
माधव मुझे बचा लो।

(वेबदुनिया पर दिए किसी भी कंटेट के प्रकाशन के लिए लेखक/वेबदुनिया की अनुमति/स्वीकृति आवश्यक है, इसके बिना रचनाओं/लेखों का उपयोग वर्जित है...)
 

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

इन 6 तरह के लोगों को नहीं खाना चाहिए आम, जानिए चौंकाने वाले कारण

बहुत भाग्यशाली होते हैं इन 5 नामाक्षरों के लोग, खुशियों से भरा रहता है जीवन, चैक करिए क्या आपका नाम है शामिल

करोड़पति होते हैं इन 5 नामाक्षरों के जातक, जिंदगी में बरसता है पैसा

लाइफ, नेचर और हैप्पीनेस पर रस्किन बॉन्ड के 20 मोटिवेशनल कोट्स

ब्लड प्रेशर को नैचुरली कंट्रोल में रखने वाले ये 10 सुपरफूड्स बदल सकते हैं आपका हेल्थ गेम, जानिए कैसे

सभी देखें

नवीनतम

रानी अहिल्याबाई के पति की मौत कैसे हुई थी?

लोकमाता देवी अहिल्याबाईः सुशासन और महिला स्वावलंबन की प्रणेता

ट्रंप क्यों नहीं चाहते Apple अपने प्रोडक्ट भारत में बनाए?

क्यों पद्मश्री से नवाजे गए ब्राजील के वेदांत आचार्य जोनास मसेट्टी? जानिए एक विदेशी आचार्य की प्रेरणादायक कहानी

जैव विविधता पर कविता : मैं अब भी प्रतीक्षा में हूं

अगला लेख