Hindi Poem : तुमसे मिलने के वो क्षण

Webdunia
डॉ. शिवा श्रीवास्तव
 
कितने वर्षों बाद
मुझे तुमसे मिलने 
वहां आना, अच्छा लगा था।
 
वहां लकड़ी की 
सिर्फ दो ही कुर्सियां 
और बीच में कांच लगा टेबिल
जो हमारी तरह पूरा पारदर्शी था।
 
दो -दो करके उस टेबिल पर 
चाय के प्यालों के कई निशान
जो हर बार बात शुरू करने के 
और मेरे उठ कर फिर से बैठ जाने के थे। 
 
कांच की खिड़कियों से आता सफेद उजाला
उतनी लंबाई के बड़े  
कोने में सरके हुए पर्दे​
दीवार पर टंगे तैलीय चित्र।
 
और वो बाहर फूले सेमल
आकाश की तरफ मुंह उठाए
जैसे मुझे तुम्हारे संग 
देखने से कतराते हों। 
 
हमारी बेहिसाब बे रोक टोक बातें
बिना ब्रेक की रेलगाड़ी सी 
पटरियों पर दौड़ती हुई
आकर समय से  टकराने को थी।
 
सामने सरकती घड़ी की सुईयां
मुझे परेशान करने लगी
अब तो जाना ही होगा
"चलूं मैं"_ कहकर मेरा उठना।
 
दोबारा मिलने की अनिश्चितता लिए
बेमन से विदा ले , मैं 
तुमसे मिलने के वो क्षण
बिसरा नहीं पाती।
 

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

नवरात्रि दुर्गा पूजा के फलाहार, जानें 9 दिनों के व्रत की रेसिपी

अप्रैल फूल डे 2025 से जुड़े 20 अनोखे और मजेदार फैक्ट्स जो आपको हैरान कर देंगे

गुड़ी पड़वा विशेष: गुड़ी पर क्यों चढ़ाते हैं गाठी/पतासे का हार, जानिए इसका धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व

Chaitra navratri diet: नवरात्रि में कैसे रखें अपनी सेहत का ख्याल? जानें सही डाइट टिप्स

चैत्र नवरात्रि में घर के वास्तु दोष दूर करने के लिए करिए ये सरल उपाय, मां दुर्गा की बरसेगी कृपा

सभी देखें

नवीनतम

बैठते या खड़े होते समय चटकती हैं पैरों की हड्डियां? जानिए इसके 5 बड़े कारण

ईद के इस चांद की तरह दमकता रहे आपका हर दिन, रब से बस यही दुआ मांगते हैं ईद के दिन... खास अंदाज में कहें ईद मुबारक

सुबह उठते ही लगती है तेज भूख? जानिए इसके 5 चौंकाने वाले कारण और राहत के उपाय

Gudi padwa Essay: गुड़ी पड़वा पर आदर्श निबंध हिन्दी में

गुड़ी पड़वा पर क्यों खाई जाती है कड़वी नीम और गुड़, जानिए सेहत को मिलते हैं क्या फायदे

अगला लेख