कविता : शुभकामना संदेश

राकेशधर द्विवेदी
महानगर के व्यस्ततम सड़कों पर 
घने कोहरे और हड्डियों को कंपा देने वाली शीत 
के मध्य बड़ी-बड़ी गाडियों में 
लोग गतिमान हैं 
चौराहे के लाल सिग्नल
पर रुक जाती है गाड़ियां और 
अनेक-छोटे-छोटे बच्चे 
फटे-पुराने कपड़ों में 
लिए पुष्प, पुष्प गुच्छ
दे रहे हैं इस नव वर्ष का
शुभकामना संदेश
वे नहीं ले रहे बदले में कोई शुभकामना संदेश 
क्योंकि इन पुष्पों से उन्होंने सीख लिया है 
कांटो के बीच मुस्कुराना 
और प्रदूषित फिजां में 
सुगंध बिखेरना। 

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