हिंदी कविता: हरि‍याली की डोर

Webdunia
रविवार, 21 फ़रवरी 2021 (15:18 IST)
विवेक हिरदे,

हरियाली की डोर को थामे रखो मनमीत
धरा से उड़ा हरा रंग तो खो जाएंगे मधुरगीत।

अभी रोक लें व्‍यर्थ जल को मिल हम और तुम
कल की नस्‍लें न तोड़ दें मरुभूमि में दम।

पौधारोपण सब करें, न सहेज रखें उन्‍हें कोय
जो सहेजे बोए पौधों को, तो सूखा काहे होए।

प्रगति के नाम पर, देखो राजा करे विकास
वृक्षों की बलि दे-देकर जीवन का होता नाश।

सीमेंट की धूसरि‍त सड़कों से राह भुला है जल
घर घर इंटरलॉकिंग से माटी हुई निर्बल।

लुप्‍त हुए गीली माटी पर दौड़ते नन्‍हें पांव
लंबे चौड़े मॉलों ने छीनी नीम की छांव।

खो गए देखो गांव-शहर से बैठक और चौपाल
अहातों में बेसुध हैं लोग, पीकर मदि‍रा लाल।

बूंदे सोचें बादल में, कहां मैं बरसूं आज
कटे झाड़ हैं, गले हाड़ हैं, आवे मोहे लाज।

जल बि‍न जीवन आग है, रोके इसे हरियाली
वृक्ष जीवन का राग है, धरती की है लाली।

अहिल्‍या नगरी प्राण है, राज्‍य की पहचान
हरित प्रदेश कर के इसमें मित्रों, फूंक दो इसमें जान।

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

पेट के लिए वरदान है जामुन, जानिए इसके चमत्कारी फायदे

सावधान! अधूरी नींद की वजह से खुद को ही खाने लगता है आपका दिमाग

पाकिस्तान में बेनाम सामूहिक कब्रों के पास बिलखती महिलाएं कौन हैं...?

मिस वर्ल्ड 2025 ने 16 की उम्र में कैंसर से जीती थी जंग, जानिए सोनू सूद के किस सवाल के जवाब ने जिताया ओपल को ताज

ऑपरेशन सिंदूर पर निबंध: आतंकवाद के खिलाफ भारत का अडिग संकल्प, देश के माथे पर जीत का तिलक

सभी देखें

नवीनतम

हिन्दी कविता: प्रेम में पूर्णिमा नहीं होती

वट सावित्री व्रत: आस्था, आधुनिकता और लैंगिक समानता की कसौटी

बढ़ती उम्र में भी 'शहंशाह' की सेहत का राज: अमिताभ बच्चन ने छोड़ीं ये 5 चीजें!

मेरे पापा मेरी जान हैं, मेरे जीवन की पहचान हैं... फादर्स डे पर पापा को डेडिकेट करें ये 20 दिल छू लेने वाली शायरियां

दिल को रखना है हमेशा फिट और मजबूत? तो करें ये 3 योगासन, हेल्दी हार्ट के लिए हैं बेस्ट

अगला लेख