कविता : इंसां झूठे होते हैं...

Webdunia
- डॉ. रूपेश जैन 'राहत', हैदराबाद

इंसां झूठे होते हैं
इंसां का दर्द झूठा नहीं होता,
इन ओंठों पर भी हंसी होती
गर अपना कोई रूठा नहीं होता।
 
मैं जानता हूं कि
आंखों में बसे रुख को
मिटाया नहीं जाता,
यादों में समाये अपनों को
भुलाया नहीं जाता।
 
रह-रहकर याद आती है अपनों की
ये गम छुपाया नहीं जाता,
सपनों में डूबी पलकों की कतारों को
यूं उठाया नहीं जाता।
 
इंसां झूठे होते हैं
इंसां का दर्द झूठा नहीं होता,
इन ओंठो पर भी हंसी होती
गर अपना कोई रूठा नहीं होता।

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

सावन माह में क्या खाएं और क्या नहीं?

वेट लॉस में बहुत इफेक्टिव है पिरामिड वॉक, जानिए चौंकाने वाले फायदे और इसे करने का तरीका

सावन में रचाएं भोलेनाथ की भक्ति से भरी ये खास और सुंदर मेहंदी डिजाइंस, देखकर हर कोई करेगा तारीफ

ऑफिस में नींद आ रही है? जानिए वो 5 जबरदस्त ट्रिक्स जो झटपट बना देंगी आपको अलर्ट और एक्टिव

सुबह उठते ही सीने में महसूस होता है भारीपन? जानिए कहीं हार्ट तो नहीं कर रहा सावधान

सभी देखें

नवीनतम

फाइबर से भरपूर ये 5 ब्रेकफास्ट ऑप्शंस जरूर करें ट्राई, जानिए फायदे

सावन में नॉनवेज छोड़ने से शरीर में आते हैं ये बदलाव, जानिए सेहत को मिलते हैं क्या फायदे

सावन में कढ़ी क्यों नहीं खाते? क्या है आयुर्वेदिक कारण? जानिए बेहतर विकल्प

हर किसी के लिए सुरक्षित नहीं होता आइस बाथ, ट्रेंड के पीछे भागकर ना करें ऐसी गलती

विश्व जनसंख्या दिवस 2025: जानिए इतिहास, महत्व और इस वर्ष की थीम

अगला लेख