नई कविता : एक बार फिर आ जाओ कान्हा

Webdunia
देवेंन्द्र सोनी
एक बार फिर आ जाओ कान्हा
कलियुग कर रहा पुकार  
एक बार फिर आ जाओ 
हम सबके प्रिय कान्हा ।
 
खो गया है, माखन-मिश्री
गऊ माता लाचार यहां
सुनने को मुरली-धुन
करते फिर गुहार यहां ।
 
वही दुर्योधन, वही दुशासन 
वही चीरहरण, वही अराजकता 
पसरी है, फिर से यहां ओ
रिश्तों के ताने-बाने भी अब तो
खो बैठे हैं सुध- बुध अपनी।
 
लगा है नौनिहालों का भविष्य दांव पर 
हो गए हैं कई कालिया नाग यहां
एक बार फिर मथने उनको
आ जाओ हम सबके कान्हा ।
 
आंखों पर भी बांध ली है पट्टी
न्याय की गांधारी ने 
पहुंच गया है फिर चरम पर
सत्ता का मद अब यहां।
 
पांडव सी बन गई है जनता
सच्चा कर्म बता जाओ 
एक बार फिर से आकर तुम कान्हा
गीता का पाठ पढ़ा जाओ।

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

रसोई की इन 7 चीजों में छुपा है आपका स्किन ब्राइटनिंग सीक्रेट, तुरंत जानें इनके बेहतरीन फायदे

Health Alert : कहीं सेहत के लिए हानिकारक तो नहीं है सहजन की फली?

सॉफ्ट आटा गूंथने के 4 सही तरीके, रोटियां बनेंगी फूली हुई और मुलायम

आपके घर के किचन में छुपा है आयल फ्री त्वचा का राज, जानिए ये होममेड क्लींजर बनाने का तरीका

ऑफिस में बनाना चाहते हैं बढ़िया इमेज तो भूलकर भी ना करें ये गलतियां

सभी देखें

नवीनतम

इन 4 लोगों को भूलकर भी नहीं खानी चाहिए अरबी की सब्जी, जानें क्या हो सकते हैं नुकसान और बचाव के उपाय

नीबू हल्‍दी से कैंसर ठीक करने का नुस्‍खा बताकर फंसे नवजोत सिंह सिद्धू, ठोका 850 करोड़ का केस

सुबह नाश्ते में इस सफेद चीज का सेवन बढ़ाएगा आपकी याददाश्त, तेज दिमाग के लिए जरूर करें ये वाला नाश्ता

ये है अमिताभ बच्चन की फिटनेस का सीक्रेट: 82 की उम्र में फिट रहने के लिए खाते हैं इस पौधे की पत्ती

बढ़ता प्रदूषण आपकी स्किन को भी पहुंचा रहा है नुकसान, जानें कैसे करें अपनी स्किन केअर प्लान

अगला लेख