जीवन को खुशनुमा बनाती हिन्दी कविता : रसमय

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- पुरुषोत्तम व्यास
 
रस रस
हर क्षण में
रस रस हर बात में...
 
सुनता कोई
कुछ कहें
रस घोल जाता जीवन में...
 
रसमय सांझ सुहानी
रोम रोम पुलकित  
गीत कविता
रसमय हो जाती कल्पना...
 
मूंद नयन  
डूबा रहूं रसमय पल में...
 
सुमन सुमन महके महके 
बह रही समीर सुहानी
करता मन  
उड़ पडों दूर नभ में
 
रसमय सांझ सुहानी
रस रस हर क्षण क्षण में...। 
 

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