प्रेम कविता : मिलूंगी तुम्हें वहीं प्रिये

मधु टाक
मिलूंगी तुम्हें वहीं प्रिये
तारों से जब आंचल सजाओगे
सीपों से गहने जड़वाओगे
प्रीत में तेरी राधा सी बनकर
मन में  जब संदल महकाओगे
मैं मिलूंगी तुम्हें वहीं प्रिये..........
 
नागफनी में भी फूल खिलाओगे
छूकर मुझे तुम राम बन जाओगे
आशा के तुम ख्वाब सजाकर
जब जब मुझसे प्रीत निभाओगे
मैं मिलुंगी तुम्हें वहीं प्रिये......
 
कोयल की कूक सुनाओगेे
भवरें सी मधुर गुंजार करोगे
अमावस की अंधेरी रातों में
जुगनू से रोशनी ले आओगे
मैं मिलूँगी तुम्हें वहीं प्रिये ......
 
हरी चुड़ियाँ जब तुम लाओगे
आस के हंस को मोती चुगाओगे
सावन में लहराने लगा मन मेरा 
प्रणय के गीत जब तुम गाओगे
मैं मिलुँगी तुम्हें वहीं प्रिये .........
 
जब जब भी तुम याद करोगे
चाँदनी को चाँद से मिलाओगे
गुनगुनाती हवाओं के साथ साथ
अहसासो में जब मुझे सवांरोगे
मैं मिलूँगी तुम्हें वहीं प्रिये .........
          ||मधु टाक ||

सम्बंधित जानकारी

Show comments

गर्भवती महिलाओं को क्यों नहीं खाना चाहिए बैंगन? जानिए क्या कहता है आयुर्वेद

हल्दी वाला दूध या इसका पानी, क्या पीना है ज्यादा फायदेमंद?

ज़रा में फूल जाती है सांस? डाइट में शामिल ये 5 हेल्दी फूड

गर्मियों में तरबूज या खरबूजा क्या खाना है ज्यादा फायदेमंद?

पीरियड्स से 1 हफ्ते पहले डाइट में शामिल करें ये हेल्दी फूड, मुश्किल दिनों से मिलेगी राहत

मेडिटेशन करते समय भटकता है ध्यान? इन 9 टिप्स की मदद से करें फोकस

इन 5 Exercise Myths को जॉन अब्राहम भी मानते हैं गलत

क्या आपका बच्चा भी हकलाता है? तो ट्राई करें ये 7 टिप्स

जर्मन मीडिया को भारतीय मुसलमान प्रिय हैं, जर्मन मुसलमान अप्रिय

Metamorphosis: फ्रांत्स काफ़्का पूरा नाम है, लेकिन मुझे काफ़्का ही पूरा लगता है.

अगला लेख