वर्षा पर कविता : मेघों पर कविता

Webdunia
- पुरुषोत्तम व्यास

चलो-चलो कवि
लिखों मेघों पर कविता
 
बरसेंगे आंगन-आंगन
हरा-भरा ह्दय होगा
हरा-भरा धरा का पटल होगा..
 
झूमेगा-झरना
पर्वत-मालाओं से
सरिता संग इतराएगा...
 
समीर बहेगी मनभावन 
नौका भी डगमग डोलेगी
पखों की फड़-फड़ाहट
उपवन-उपवन बूदें-गूंजेंगी..
 
चलो-चलो कवि
लिखों मेघों पर कविता। 

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

अपनों का दिन बनाएं मंगलमय, भेजें सुन्दर आध्यात्मिक सुप्रभात् संदेश

रात को शहद में भिगोकर रख दें यह एक चीज, सुबह खाने से मिलेंगे सेहत को अनगिनत फायदे

इम्युनिटी बढ़ाने के साथ दिन भर तरोताजा रखेंगे ये गोल्डन आइस क्यूब, जानिए कैसे तैयार करें

कॉर्टिसोल हार्मोन को दुरुस्त करने के लिए डाईट में शामिल करें ये 4 चीजें, स्ट्रेस को कहें बाय-बाय

क्या प्रोटीन सप्लीमेंट्स लेने से जल्दी आता है बुढ़ापा, जानिए सच्चाई

सभी देखें

नवीनतम

23 मार्च भगतसिंह, सुखदेव और राजगुरु का शहीदी दिवस

वेंटिलेटर पर रिफिल

विश्व मौसम विज्ञान दिवस कब और क्यों मनाया जाता है? जानें इस वर्ष की थीम

कवि विनोद कुमार शुक्ल, ज्ञानपीठ सम्मान की खबर और उनसे मिलने की एक चाह

हर मौसम में काम आएंगे पानी के संकट से बचने के ये 10 तरीके

अगला लेख