कविता : अब इज्ज़त की ज़िंदगी जिऊंगी मैं

Webdunia
-प्रतिभा जैन
 
तलाक-तलाक-तलाक, ये शब्द निर्दयी,
कर देते मेरा जीवन छलनी, संशयी।
 
व्हॉट्सएप, एसएमएस या नेट पर,
तलाक देते थे मुझे एक फोन कर।
 
जी रही थी जिल्लत-सी जिंदगी,
रहती थी हमेशा डरती-दुबकी।
 
कि कारण-बेकारण, हो जाएगा तलाक,
तुम बन निर्लज्ज, बेदर्द और चालाक।
 
काला वस्त्र पहनने को मजबूर करते हो,
और स्याह मन खुद अपना रखते हो।
 
पहन सफेद कुर्ता-पजामा नमाज पढ़ते हो,
और बीवी के लिए मन मैला रखते हो।
 
मिलती नहीं मायके में तालीम की खुद जी सकूं,
बच्चों और खुद के लिए पैरों पर खड़ी हो सकूं।
 
इतने दशक सहमी-सहमी रही जब-तब,
कि अब रहम आया तुझे मुझ पर रब।
 
पास हो गया दोनों सदनों में बिल,
राहत मिली मन को खुश हुआ दिल।
 
वादा है आपकी इज्जत सदा करूंगी मैं,
पर खुद भी इज्ज़त की ज़िंदगी जिऊंगी मैं।
 
आमीन!
 
 

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

चलती गाड़ी में क्यों आती है नींद? जानें इसके पीछे क्या है वैज्ञानिक कारण

सर्दियों में नाखूनों के रूखेपन से बचें, अपनाएं ये 6 आसान DIY टिप्स

क्या IVF ट्रीटमेंट में नॉर्मल डिलीवरी है संभव या C - सेक्शन ही है विकल्प

कमर पर पेटीकोट के निशान से शुरू होकर कैंसर तक पहुंच सकती है यह समस्या, जानें कारण और बचाव का आसान तरीका

3 से 4 महीने के बच्चे में ये विकास हैं ज़रूरी, इनकी कमी से हो सकती हैं समस्याएं

सभी देखें

नवीनतम

नैचुरल ब्यूटी हैक्स : बंद स्किन पोर्स को खोलने के ये आसान घरेलू नुस्खे जरूर ट्राई करें

Winter Skincare : रूखे और फटते हाथों के लिए घर पर अभी ट्राई करें ये घरेलू नुस्खा

Kaal Bhairav Jayanti 2024: काल भैरव जयंती पर लगाएं इन चीजों का भोग, अभी नोट करें

चाहे आपका चेहरा हो या बाल, यह ट्रीटमेंट करता है घर पर ही आपके बोटोक्स का काम

डायबिटीज के लिए फायदेमंद सर्दियों की 5 हरी सब्जियां ब्लड शुगर को तेजी से कम करने में मददगार

अगला लेख