हिन्दी कविता : ईश्वर की अद्भुत कृति 'नर्स'

Webdunia
-जनार्दन शर्मा
 
वर्षों से देखा सबने, सुंदर सफेद परिधानों से सज्जित,
सदा अपने अधरों पर लिए, मधुर मुस्कान, वो तरुणाई।
 
सदा सेवा में तत्पर रहती, जो किसी ने आवाज लगाई,
सिस्टर कहा किसी ने, तो किसी ने नर्स, कोई कहता नर्स बाई,
 
वात्सल्य, सेवा, त्याग की, मूरत, सदा करती हैं सबकी भलाई।
जो रक्त देख के रहे निडर, जन्म-मृत्यु देख न कभी हो घबराई।
 
मां सी ममता उड़ेल, जन्म से रोते बच्चों की बन जाती आई।
मन में प्रेम, कोमलता, दया के भाव लिए सदा ही वो मुस्कुराई।
 
प्रेम दिया किसी ने तो किसी ने उसका अपमान भी किया।
अपनी सेवा में कोई कमी न रख, हर मरीज को ठीक किया।
 
हर मरीज के मर्ज से रिश्ता जोड़, वो मीठे से सुइयां चुभाती है।
कभी प्यार से तो कभी डांट के, वो कड़वी दवा भी खिलाती है।
 
जिसका दिल है दयावान, सेवा भाव से सदा सेवा करती आई है,
अपने दर्द को दिल में छुपा, मरीजों को देख सदा मुसकाई है।
 
सदियों से संक्रमण के हर दौर में, खड़ी सदा करती अगुवाई है।
दूसरों की सेवा करते-करते कुछ ने, खुद की भी जान गंवाई है। 
 
नमन करता हैं 'जनार्दन' तुम्हें सदा, ईश्वर ने भी 'नर्स' के रूप में,
सेवा, सुश्रुसा का भाव जगा, अपनी एक अद्भुत कृति बनाई है।
 

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

सावन में कढ़ी क्यों नहीं खाते? क्या है आयुर्वेदिक कारण? जानिए बेहतर विकल्प

हर किसी के लिए सुरक्षित नहीं होता आइस बाथ, ट्रेंड के पीछे भागकर ना करें ऐसी गलती

सावन में हुआ है बेटे का जन्म तो लाड़ले को दीजिए शिव से प्रभावित नाम, जीवन पर बना रहेगा बाबा का आशीर्वाद

बारिश के मौसम में साधारण दूध की चाय नहीं, बबल टी करें ट्राई, मानसून के लिए परफेक्ट हैं ये 7 बबल टी ऑप्शन्स

इस मानसून में काढ़ा क्यों है सबसे असरदार इम्युनिटी बूस्टर ड्रिंक? जानिए बॉडी में कैसे करता है ये काम

सभी देखें

नवीनतम

‘इंतज़ार में आ की मात्रा’ पढ़ने के बाद हम वैसे नहीं रहते जैसे पहले थे

भारत के विभिन्न नोटों पर छपीं हैं देश की कौन सी धरोहरें, UNESCO विश्व धरोहर में हैं शामिल

चैट जीपीटी की मदद से घटाया 11 किलो वजन, जानिए सिर्फ 1 महीने में कैसे हुआ ट्रांसफॉर्मेशन

मानसून में चिपचिपे और डैंड्रफ वाले बालों से छुटकारा पाने के 5 आसान टिप्स

क्या ट्रैफिक पुलिस आपकी स्कूटी की चाबी ले सकती है? जानें कानूनी सच्चाई और अपने अधिकार

अगला लेख