वसंत ऋतु पर कविता : अबकि जो आएगा वसंत

अमर खनूजा चड्ढा
अबकि जो आएगा वसंत
मैं जोगी को म ना लूंगी 
महुआ बन बस जाऊंगी 
 
अबकि जो आएगा वसंत 
डायरी में, फूलों सा संभाल रखूंगी 
 
अबकि जो आएगा वसंत 
मेहंदी के पत्तों सा 
हाथों में रचाऊंगी 
अबकि जो आएगा वसंत 
फूलों की सजी डोलियां 
अपने आंगन उतारूंगी 
रंग जादुई चुरा 
माथे सिंदूरी चुंबन सजाऊंगी 
खुशनुमा चंदन ले उधार
इतर बना सहेजूंगी 
 
अबकि जो आएगा वसंत 
यादों की कश्ती में 
खामोशी का दरिया पार करुंगी 
अबकि जो आएगा वसंत 
चांद की परछाई 
बदन में उतार लूंगी 
 
अबकि जो आएगा वसंत 
मैं जोगी को मना लूंगी 
महुआ बन बस जाऊंगी 
Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

अपनों का दिन बनाएं मंगलमय, भेजें सुन्दर आध्यात्मिक सुप्रभात् संदेश

रात को शहद में भिगोकर रख दें यह एक चीज, सुबह खाने से मिलेंगे सेहत को अनगिनत फायदे

इम्युनिटी बढ़ाने के साथ दिन भर तरोताजा रखेंगे ये गोल्डन आइस क्यूब, जानिए कैसे तैयार करें

कॉर्टिसोल हार्मोन को दुरुस्त करने के लिए डाईट में शामिल करें ये 4 चीजें, स्ट्रेस को कहें बाय-बाय

क्या प्रोटीन सप्लीमेंट्स लेने से जल्दी आता है बुढ़ापा, जानिए सच्चाई

सभी देखें

नवीनतम

ब्लैकहेड्स हटाने के 7 आसान उपाय, मिनटों में पाएं साफ और चमकदार त्वचा

ईद उल-फ़ित्र पर क्या-क्या बनाएं, जानें ईद उल फितर के पकवानों की सूची

ईद के इस चांद की तरह दमकता रहे आपका हर दिन, रब से बस यही दुआ मांगते हैं ईद के दिन... खास अंदाज में कहें ईद मुबारक

तिब्बत को लेकर पंडित नेहरू की गलतियां और 1962 में चीन का भारत पर हमला

बैठते या खड़े होते समय चटकती हैं पैरों की हड्डियां? जानिए इसके 5 बड़े कारण

अगला लेख