30 जून से होंगे बाबा अमरनाथ के दर्शन, अमरनाथ यात्रा के 25 अनजाने रहस्य

Webdunia
गुरुवार, 23 जून 2022 (12:10 IST)
अमरनाथ यात्रा कब से शुरू होगी 2022 : 2022 की अमरनाथ यात्रा 30 जून से प्रारंभ हो जाएगी तो कि 11 अगस्त तक चलेगी। यात्रा में किसी भी तरह की आपदा से निपटने के लिए पहलगाम और बालटाल रूट पर 20 जगहों पर 36 टीमों को तैनात किया गया है। जिन्होंने यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन करवा रखा है उन्हें ही यात्रा में जाने की अनुमति होगी।
 
 
1. हिन्दू तीर्थ अमरनाथ की गुफा कश्मीर के श्रीनगर से करीब 145 किलोमीटर की दूरी पर हिमालय पर्वत श्रेणियों में स्थित है।
 
2. अमरनाथ यात्रा पर जाने के लिए 2 रास्ते हैं- एक पहलगाम होकर जाता है और दूसरा सोनमर्ग बालटाल से जाता है।
 
3. यहां की यात्रा हिन्दू माह अनुसार आषाढ़ पूर्णिमा से प्रारंभ होती है और श्रावण पूर्णिमा तक चलती है। यात्रा के अंतिम दिन छड़ी मुबारक रस्म होती है। हालांकि मौसम के अनुसार यात्रा शेड्यूल बदलता रहता है।
 
4. अमरनाथ गुफा के शिवलिंग को 'अमरेश्वर' कहते हैं। पौराणिक मान्यता अनुसार इस गुफा को सबसे पहले भृगु ऋषि ने खोजा था। तब से ही यह स्थान शिव आराधना और यात्रा का केंद्र है।
 
5. इस गुफा में भगवान शंकर ने कई वर्षों तक तपस्या की थी और यहीं पर उन्होंने माता पार्वती को अमरकथा सुनाई थी, अर्थात अमर होने के प्रवचन दिए थे।
 
6. मान्यता अनुसार भगवान शिव ने माता पार्वती को जब अमरत्व का रहस्य सुना रहे थे तब इस रहस्य को शुक (कठफोड़वा या तोता) और दो कबूतरों ने भी सुन लिया था। यह तीनों ही अमर हो गए। कुछ लोग आज भी इन दोनों कबूतरों को देखे जाने का दावा करते हैं।
 
7. शिव जब पार्वती को अमरकथा सुनाने ले जा रहे थे, तो उन्होंने अनंत नागों को अनंतनाग में छोड़ा, माथे के चंदन को चंदनवाड़ी में उतारा, अन्य पिस्सुओं को पिस्सू टॉप पर और गले के शेषनाग को शेषनाग नामक स्थल पर छोड़ा।
 
8. पुराण के अनुसार काशी में दर्शन से दस गुना, प्रयाग से सौ गुना और नैमिषारण्य से हजार गुना पुण्य देने वाले श्री बाबा अमरनाथ के दर्शन हैं। जय अमरनाथ।
 
9. गुफा की परिधि लगभग 150 फुट है और इसमें ऊपर से सेंटर में बर्फ के पानी की बूंदें टपकती रहती हैं। टपकने वाली हिम बूंदों से लगभग दस फुट लंबा शिवलिंग बनता है। हालांकि बूंदें तो और भी गुफाओं में टपकती है लेकिन वहां यह चमत्कार नहीं होता।
 
10. बर्फ की बूंदों से बनने वाला यह हिमलिंग चंद्र कलाओं के साथ थोड़ा-थोड़ा करके 15 दिन तक बढ़ता रहता है और चन्द्रमा के घटने के साथ ही घटना शुरू होकर अंत में लुप्त हो जाता है।
 
11. अमरनाथ की यात्रा करने के प्रमाण महाभारत और बौद्ध काल में भी मिलते हैं। ईसा पूर्व लिखी गई कल्हण की 'राजतरंगिनी तरंग द्वि‍तीय' में इसका उल्लेख मिलता है। अंग्रेज लेखक लारेंस अपनी पुस्तक 'वैली ऑफ कश्मीर' में लिखते हैं कि पहले मट्टन के कश्मीरी ब्राह्मण अमरनाथ के तीर्थयात्रियों की यात्रा करवाते थे। बाद में बटकुट में मलिकों ने यह जिम्मेदारी संभाल ली।
12. विदेशी आक्रमण के कारण 14वीं शताब्दी के मध्य से लगभग 300 वर्ष की अवधि के लिए अमरनाथ यात्रा बाधित रही। कश्मीर के शासकों में से एक 'जैनुलबुद्दीन' (1420-70 ईस्वी) ने अमरनाथ गुफा की यात्रा की थी।
 
13. मुगल काल में जब कश्मीरी पंडितों का कत्लेआम किया जा रहा था तो पंडितों ने अमनाथ के यहां प्रार्थना की थी। उस दौरान वहां से आकाशवाणी हुई थी कि आप सभी लोग सिख गुरु से मदद मांगने के लिए जाएं। संभवत: वे हरगोविंद सिंहजी महाराज थे। उनसे पहले अर्जुन देवजी थे।
 
14. ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव इस गुफा में पहले पहल श्रावण मास की पूर्णिमा को आए थे इसलिए उस दिन को अमरनाथ की यात्रा को विशेष महत्व मिला। रक्षा बंधन की पूर्णिमा के दिन ही छड़ी मुबारक भी गुफा में बने हिमशिवलिंग के पास स्थापित कर दी जाती है।
 
15. आश्चर्य की बात यही है कि यह शिवलिंग ठोस बर्फ का बना होता है, जबकि अन्य जगह टपकने वाली बूंदों से कच्ची बर्फ बनती है जो हाथ में लेते ही भुरभुरा जाती है। मूल अमरनाथ शिवलिंग से कई फुट दूर गणेश, भैरव और पार्वती के वैसे ही अलग-अलग हिमखंड बन जाते हैं।
 
16. अमरनाथ गुफा को पुरातत्व विभाग वाले 5 हजार वर्ष पुराना मानते हैं अर्थात महाभारत काल में यह गुफा थी। लेकिन उनका यह आकलन गलत हो सकता है, क्योंकि सवाल यह उठता है कि जब 5 हजार वर्ष पूर्व गुफा थी तो उसके पूर्व क्या गुफा नहीं थी? हिमालय के प्राचीन पहाड़ों को लाखों वर्ष पुराना माना जाता है। उनमें कोई गुफा बनाई गई होगी तो वह हिमयुग के दौरान ही बनाई गई होगी अर्थात आज से 12 से 13 हजार वर्ष पूर्व।
 
17. कल्हण की 'राजतरंगिनी तरंग द्वि‍तीय' में उल्लेख मिलता है कि कश्मीर के राजा सामदीमत (34 ईपू-17वीं ईस्वीं) शिव के भक्त थे और वे पहलगाम के वनों में स्थित बर्फ के शिवलिंग की पूजा करने जाते थे। इस उल्लेख से पता चलता है कि यह तीर्थ यात्रा करने का प्रचलन कितना पुराना है। बृंगेश संहिता, नीलमत पुराण, कल्हण की राजतरंगिनी आदि में अमरनाथ तीर्थ का बराबर उल्लेख मिलता है।
 
18. बहुत कम लोग जानते हैं कि कश्मीर में माता सती का एक बहुत ही जाग्रत शक्तिपीठ है जिसे महामाया शक्तिपीठ कहा जाता है। यदि आप कभी अमरनाथ गए होंगे तो निश्चित ही यहां के दर्शन किए होंगे। यह मंदिर भी अमरनाथ की पवित्र गुफा में ही है। अमरनाथ की इस पवित्र गुफा में जहां भगवान शिव के हिमलिंग का दर्शन होता है वहीं हिमनिर्मित एक पार्वतीपीठ भी बनता है, यहीं पार्वतीपीठ महामाया शक्तिपीठ के रूप में मान्य है।
 
 
19. यात्रा पर जाने से पहले ठंड से बचने के लिए उचित कपड़े रख लें। कई बार ऐसा होता है कि जिन्हें ठंड बर्दाश्त नहीं होती है उनके लिए समस्या खड़ी हो जाती है। यात्रा में ज्यदा सामान नहीं ले जाएं बस जरूरत का सामान ही ले जाएं। जरूरी सामान में कंबल, छाता, रेल कोट, वाटरप्रूफ बूट, छड़ी, टार्च, स्लीपिंग बैग आदि रख लें। खाने के सामान में सूखे मेवे, टोस्ट, बिस्किट और पानी की बोतल जरूर रख लें। अपने सामान से लदे घोड़ों/खच्चरों और कुलियों के साथ ही रहें।  पंजीकृत लेबर, खच्चर और पालकी वालों की सेवाएं ही लें।
 
20. अमरनाथ की यात्रा के मार्ग में कई लोगों का ऑक्सिजन की कमी महसूस होती है ऐसे में सावधानी बरतें। जिन लोगों में आयरन और कैल्शियम की होती हैं उनके शरीर में ऑक्सिजन लेवल भी जल्द ही घट जाता है। कई लोग इसके लिए कर्पूर का उपयोग भी करता है। कर्पूर को नाक के पास लगाकर सूंघा जाता है।
 
21. परिवार के साथ यात्रा कर रहे हैं तो यात्रा के सभी नियमों और रुट को अच्‍छे से समझ लें। तय समय पर ही यात्रा कैप पर पहुंच जाएं। यदि ग्रुप में यात्रा कर रहे हैं तो अपने ग्रुप से दूर ना हों, एकत्रित होकर ही यात्रा करें। 
 
22. फिट रहने के लिए यात्रा से कुछ दिन पूर्व प्रतिदिन 4-5 किलोमीटर सुबह-शाम सैर करें। पहाड़ों पर यात्रा के लिए महिलाएं साड़ी के बजाय सलवार सूट या पैंट पहनें।
 
23. यात्रा करने के बाद अन्य कहीं घूमने का प्लान है तो राज्य के माहौल को अच्‍छे से समझ लें और अनुकूल स्थिति में ही अन्य किसी की यात्रा का निर्णय लें। संदिग्ध व्यक्ति या वस्तु की जानकारी तुरंत सुरक्षाकर्मियों को दें। खाली पेट यात्रा ना करें। 
 
24. अमरनाथ यात्रा पर जाने के लिए 2 रास्ते हैं- एक पहलगाम होकर जाता है और दूसरा सोनमर्ग बालटाल से जाता है। यानी देशभर के किसी भी क्षेत्र से पहले पहलगाम या बालटाल पहुंचना होता है। इसके बाद की यात्रा पैदल की जाती है। 
 
25. सरकार द्वारा निर्धारित रास्ते से ही यात्रा करें। चेतावनी वाले स्थानों पर न रुकें, आगे बढ़ते रहें।

सम्बंधित जानकारी

Show comments

Bhagwat katha benefits: भागवत कथा सुनने से मिलते हैं 10 लाभ

Vaishakha amavasya : वैशाख अमावस्या पर स्नान और पूजा के शुभ मुहूर्त

Dhan yog in Kundali : धन योग क्या है, करोड़पति से कम नहीं होता जातक, किस्मत देती है हर जगह साथ

Akshaya tritiya 2024 : 23 साल बाद अक्षय तृतीया पर इस बार क्यों नहीं होंगे विवाह?

Varuthini ekadashi: वरुथिनी एकादशी का व्रत तोड़ने का समय क्या है?

Guru asta 2024 : गुरु हो रहा है अस्त, 4 राशियों के पर्स में नहीं रहेगा पैसा, कर्ज की आ सकती है नौबत

Nautapa 2024 date: कब से लगने वाला है नौतपा, बारिश अच्‍छी होगी या नहीं?

Akshaya tritiya 2024: अक्षय तृतीया की पौराणिक कथा

कालाष्टमी 2024: कैसे करें वैशाख अष्टमी पर कालभैरव का पूजन, जानें विधि और शुभ समय

Aaj Ka Rashifal: राशिफल 01 मई: 12 राशियों के लिए क्या लेकर आया है माह का पहला दिन

अगला लेख