क्या लुप्त हो जाएंगे केदारनाथ और बद्रीनाथ धाम! क्या सच होने वाली है स्कंदपुराण की भविष्यवाणी

WD Feature Desk
मंगलवार, 17 जून 2025 (17:48 IST)
skand puran prediction: उत्तराखंड की ऊंची हिमालय चोटियों पर स्थित केदारनाथ और बद्रीनाथ धाम, न केवल पौराणिक बल्कि धार्मिक दृष्टि से भी अत्यधिक महत्वपूर्ण स्थान माने जाते हैं। ये लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र हैं, जहाँ हर साल लाखों भक्त मोक्ष की कामना लेकर पहुँचते हैं। लेकिन क्या होगा अगर ये पवित्र स्थल एक दिन लुप्त हो जाएं? स्कंदपुराण में की गई एक हैरान कर देने वाली भविष्यवाणी ने इस सवाल को फिर से जन्म दिया है।

क्या है स्कंदपुराण की भविष्यवाणी
हिंदू धर्म के सबसे बड़े पुराणों में से एक, स्कंदपुराण में यह स्पष्ट रूप से कहा गया है कि कलयुग के हजारों वर्षों बाद और इसके अंत से पूर्व केदारनाथ धाम और बद्रीनाथ धाम जैसे प्रमुख तीर्थ स्थल लुप्त हो जाएंगे। भविष्यवाणी के अनुसार, "जब तीर्थ का और देव प्रतिमाओं का अनादर बढ़ता जाएगा तब आने वाले समय में कलयुग में बद्रीनाथ धाम और केदारनाथ धाम लुप्त हो जाएंगे।"

स्कंदपुराण का श्लोक इसे और भी स्पष्ट करता है:
कलियुगे क्षये प्राप्ते बदरी नारायणं हरिः। अपसृत्य हिमवतः कुन्तीकण्ठे स्थिता शिवाः॥
इसका अर्थ है: "कलियुग के अंत में भगवान नारायण (बद्रीनाथ) हिमालय क्षेत्र से अन्य स्थान की ओर प्रस्थान करेंगे। इसी प्रकार भगवान केदार (शिव) भी केदार क्षेत्र छोड़कर अन्य स्थानों पर स्थित होंगे।"
स्कंदपुराण के अनुसार, जब केदारनाथ और बद्रीनाथ धाम लुप्त हो जाएंगे, तब भगवान विष्णु और भगवान शिव किसी अन्य स्थान पर वास करेंगे। वे उन्हीं भक्तों को दर्शन देंगे जिनमें असीम आस्था और भक्ति होगी। यह एक संकेत है कि भौतिक मंदिरों का महत्व गौण हो जाएगा, और आंतरिक शुद्धता व भक्ति ही सर्वोपरि होगी।

भगवान नरसिंह देव के विग्रह और भविष्यवाणी का संबंध
इस भविष्यवाणी से जुड़ा एक और महत्वपूर्ण पहलू जोशीमठ में स्थित भगवान नरसिंह देव का विग्रह है। मान्यता है कि जब भगवान नरसिंह देव के विग्रह से हाथ अलग हो जाएंगे (अर्थात धीमे-धीमे उंगलियां पतली होने लगेंगी और अंततः टूट जाएंगी), तब बद्री धाम का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा और इसका रास्ता हमेशा के लिए बंद हो जाएगा।

क्या घटनाएं हैं भविष्यवाणी का संकेत 
हाल ही में 15 जून 2025 को रुद्र प्रयाग में हुए हेलिकाप्टर क्रेश में सभी तीर्थ यात्रियों के मृत्यु हो गई। इससे पहले 2013 में केदारनाथ में भीषण आपदा को भी कुछ लोग इस भविष्यवाणी की झलक मानते हैं। कुछ लोग इसे वर्तमान परिस्थितियों के अनुसार आधुनिक दृष्टिकोण के रूप में प्रतीकात्मक मानते हैं कि अगर हम पर्यावरण का नाश करेंगे तो धर्म हमसे दूर होता चला जाएगा।

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