होली की कविता : शाम सिंदूरी होंठ पर, आंखें उजली भोर

Webdunia
Poem on holi


- मनोज खरे
 
उमरिया हिरनिया हो गई, देह इन्द्र-दरबार।
 
मौसम संग मोहित हुए, दर्पण-फूल-बहार॥
 
शाम सिंदूरी होंठ पर, आंखें उजली भोर।
 
भैरन नदिया सा चढ़े, यौवन ये बरजोर॥
 
तितली झुक कर फूल पर, कहती है आदाब।
 
सीने में दिल की जगह, रक्खा लाल गुलाब॥
 
रहे बदलते करवटें, हम तो पूरी रात।
 
अब के जब हम मिलेंगे, करनी क्या-क्या बात॥
 
मन को बड़ा लुभा रही, हंसी तेरी मन मीत।
 
काला जादू रूप का, कौन सकेगा जीत॥
 
गढ़े कसीदे नेह के, रंगों के आलेख।
 
पास पिया को पाओगी, आंखें बंद कर देख॥

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

Tula Rashi Varshik rashifal 2025 in hindi: तुला राशि 2025 राशिफल: कैसा रहेगा नया साल, जानिए भविष्‍यफल और अचूक उपाय

Job and business Horoscope 2025: वर्ष 2025 में 12 राशियों के लिए करियर और पेशा का वार्षिक राशिफल

मार्गशीर्ष माह की अमावस्या का महत्व, इस दिन क्या करें और क्या नहीं करना चाहिए?

क्या आप नहीं कर पाते अपने गुस्से पर काबू, ये रत्न धारण करने से मिलेगा चिंता और तनाव से छुटकारा

Solar eclipse 2025:वर्ष 2025 में कब लगेगा सूर्य ग्रहण, जानिए कहां नजर आएगा और कहां नहीं

सभी देखें

धर्म संसार

Utpanna ekadashi Katha: उत्पन्ना एकादशी व्रत की पौराणिक कथा

Aaj Ka Rashifal: 25 नवंबर के दिन किसे मिलेंगे नौकरी में नए अवसर, पढ़ें 12 राशियां

25 नवंबर 2024 : आपका जन्मदिन

25 नवंबर 2024, सोमवार के शुभ मुहूर्त

Weekly Horoscope: साप्ताहिक राशिफल 25 नवंबर से 1 दिसंबर 2024, जानें इस बार क्या है खास

अगला लेख