खून से लथपथ, रेंगते हुए उड़ाया पाकिस्‍तानी बंकर, अंति‍म सांस तक चलाई गोली, साथि‍यों को देते रहे कवर

नवीन रांगियाल
इंडि‍यन आर्मी में जवानों को अपना साहस और दिलेरी साबित करने के लिए कुछ ऐसे काम करना होते हैं जिससे यह तय हो सके कि जवान किसी के ऊपर हथि‍यार चलाने में संकोच न करे। कैप्‍टन मनोज पांडे के साथ भी यही किया गया। जब वे सेना में गए तो उन्‍हें एक बकरे पर फरसा चलाकर मारने के लि‍ए कहा गया।

पहले तो मनोज बहुत विचलित हुए, लेकिन फिर उन्होंने फरसे का ज़बरदस्त वार करते हुए बकरे की गर्दन उड़ा दी। उनका चेहरा खून से सन गया था। बकरे को मारकर वे अपने कमरे में गए और कई बार चेहरा धोया। वो हत्‍या के अपराधबोध से भर गए थे।

जो कभी बकरे पर फरसा चलाने में हि‍चकिचाते थे वे बाद में भारतीय सेना के ऐसे जांबाज जवान हुए कि दुश्‍मन उन्‍हें देखकर कांपते थे। अब वे योजना बनाने, हमला करने और घात लगाकर दुश्मन की जान लेने की कला के लिए जाने जाते थे।

उत्‍तर प्रदेश के सीतापुर के रुधा गांव में 25 जून 1975 को मनोज का जन्‍म हुआ था। बचपन के कुछ साल मनोज ने अपने गांव में ही बिताए। बाद में उनका परिवार लखनऊ शिफ्ट हो गया। यहां उनका दाखिला सैनिक स्कूल में काराया गया। स्‍कूल के बाद उनके पास अपना करियर बनाने के लिए कई ऑप्‍शन थे, लेकिन उन्होंने सेना को चुना। उन्‍होंने ठान लिया था कि वे सेना में ही जाएंगे। इसलिए वे सुबह जल्दी जागते, व्‍यायाम करते इसके बाद बाकी काम। उन्‍होंने एनडीए में हिस्‍सा लिया और सफल हुए। कुछ ही दि‍न में सेना का बुलावा आ गया।

जब उनसे पूछा गया कि सेना में क्‍यों आना चाहते हो। तो उनका जवाब था- मैं परमवीर चक्र जीतना चाहता हूं।
इसके बाद उन्‍हें गोरखा रायफल्‍स में शामि‍ल कर लिया गया।

पहली तैनाती जम्मू कश्मीर में हुई। कुछ ही दिन बाद सीमा पर आतंकी घुसपैठ को रोकने लिए उन्हें अपने सीनियर के साथ सर्च ऑपरेशन में जाने का मौका मि‍ला। कई घंटों की जंग में उन्‍होंने कई आंतकियों को मार गिराया। लेकि‍न इस जंग में एक सीनियर अधिकारी को अपनी आंखों के सामने शहीद होते हुए देखा तो वे अंदर तक हिल गए।

इसके कुछ ही दिनों बाद मनोज को सेंट्रल ग्लेशियर की 19700 फिट ऊंची पहलवान चौकी पर तैनाती का आदेश दिया गया। ऊंची चोटि‍यां और भयंकर सर्दी में अपनी पूरी टीम के साथ वे पूरे जोश और जूनून के साथ अपनी पोस्ट पर डटे रहे।

साल 1999 में जब पाकिस्‍तान ने एक बार फि‍र भारत की पीठ में छुरा घोंपा तो मनोज कुमार पांडे को देशभक्‍त‍ि दि‍खाने का मौका मि‍ला।

उन्‍हें ‘खालूबार’ की पोस्ट को जीतने का मिशन दिया गया। पूरी प्‍लानिंग के साथ पहाड़ियों में छिपकर उन्‍होंने दुश्‍मनों पर अंधाधुंध गोलियां चलाई। खालूबार जाने के लि‍ए उनके पास रात का वक्‍त था। सुबह होने पर मुश्‍कि‍ल हो जाती। वे रात में ही खालूबार की तरफ बढ़े। एक एक कर उन्‍होंने पाकिस्‍तानी सेना के तीन बंकरों को नेस्तानाबूद कर दि‍या। उनका इरादा था पाक के एक ऐसे बंकर को खत्‍म करने का जो बेहद खुंखार तरीके से गोलीबारी कर रहा था। वे पूरी तरह से घायल हो चुके थे लेकि‍न फि‍र भी हाथ में हथगोले लेकर रेंगते हुए दुश्मन की ओर टूट पड़े।

उन्‍होंने पाकि‍स्‍तान का चौथा बंकर भी खत्‍म कर दि‍या था। दुश्‍मन सेना के कई जवानों को मौत के घाट उतार दिया, लेकि‍न ठीक इसी दौरान मशीन गन की कुछ गोलियां उनके सीने और सि‍र में आकर धंस गई। खून से लथपथ और घायल मनोज आखि‍री सांस तक अपने साथियों को कवर देते रहे। भारतीय सेना ने देश के इस वीर सपूत को परमवीर चक्र से सम्‍मानित कि‍या।

सम्बंधित जानकारी

Show comments

महाराष्ट्र में कौनसी पार्टी असली और कौनसी नकली, भ्रमित हुआ मतदाता

Prajwal Revanna : यौन उत्पीड़न मामले में JDS सांसद प्रज्वल रेवन्ना पर एक्शन, पार्टी से कर दिए गए सस्पेंड

क्या इस्लाम न मानने वालों पर शरिया कानून लागू होगा, महिला की याचिका पर केंद्र व केरल सरकार को SC का नोटिस

MP कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी और MLA विक्रांत भूरिया पर पास्को एक्ट में FIR दर्ज

टूड्रो के सामने लगे खालिस्तान जिंदाबाद के नारे, भारत ने राजदूत को किया तलब

कोविशील्ड वैक्सीन लगवाने वालों को साइड इफेक्ट का कितना डर, डॉ. रमन गंगाखेडकर से जानें आपके हर सवाल का जवाब?

Covishield Vaccine से Blood clotting और Heart attack पर क्‍या कहते हैं डॉक्‍टर्स, जानिए कितना है रिस्‍क?

इस्लामाबाद हाई कोर्ट का अहम फैसला, नहीं मिला इमरान के पास गोपनीय दस्तावेज होने का कोई सबूत

पुलिस ने स्कूलों को धमकी को बताया फर्जी, कहा जांच में कुछ नहीं मिला

दिल्ली-NCR के कितने स्कूलों को बम से उड़ाने की धमकी, अब तक क्या एक्शन हुआ?

अगला लेख