श्राद्ध पक्ष 2020 : इन पकवानों के बिना नहीं मिलेगा पितृ तर्पण का पूरा फल, पढ़ें भोग के व्यंजन

Webdunia
Pitru Food 2020

 
श्राद्ध महालय प्रारंभ हो चुका है। पितृ पक्ष के दिनों में अपने पितरों का तर्पण करते समय उनका पसंदीदा भोजन अवश्य बनाना चाहिए ताकि आपके पितृ प्रसन्न होकर सभी मनोकामना पूर्ण होने का आशीष आपको प्रदान करें। आइए जानें पितृ भोग की 7 सरल विधियां :- 
 
चावल की खीर
 
सामग्री :
 
2 लीटर गाढ़ा दूध, 50 ग्राम मावा, दो मुट्ठी बासमती चावल, पाव कटोरी मेवे की कतरन, चार बड़े चम्मच शक्कर, आधा चम्मच पिसी इलायची और 3-4 लच्छे केसर, चुटकी-भर मीठा पीला रंग।
 
विधि :
 
सबसे पहले खीर बनाने से एक-दो घंटे पूर्व चावल धोकर पानी में गला दें। अब दूध को मोटे तले वाले बर्तन में लेकर गरम करके 10-15 उबाल लेकर पका लें। अब चावल का पूरा पानी निथार कर दूध में डाल दें। बीच-बीच में चलाती रहें।
 
चावल पकने के बाद शक्कर डाल दें और शक्कर गलने तक दूध को लगातार चलाती रहें। बीच में छोड़े नहीं। अब मावे को किसनी से कद्दूकर कर लें और खीर में मिला दें। जब खीर अच्छी तरह गाढ़ी हो जाए तब उसमें मेवे की कतरन, इलायची डालें। एक अलग कटोरी में थोड़ा-सा गरम दूध लेकर केसर 5-10 मिनट के लिए उसमें गला दें। तत्पश्चात केसर घोंटें और उबलती खीर में डाल दें। 
 
अगर खीर केसरिया रंग की ना दिख रही हो तो उसमें चुटकी-भर मीठा पीला रंग घोलकर डाल दें। अब तैयार हो रही खीर की 5-7 उबाली लेकर आंच बंद कर दें। तैयार चावल की खीर से पितृ को भोग लगाएं।
 


रसगुल्ले
 
सामग्री : 
 
500 ग्राम छेना (कपड़े में बांधकर पानी निकाल दें), 1 चुटकी केसर, 1 चम्मच दूध, 350 ग्राम शक्कर, 5 कप पानी।
 
विधि : 
 
सर्वप्रथम पानी निकले छेने को हथेली से खूब मसल लें। अब दूध में केसर को घिसकर छेने में मिलाएं और अच्छी तरह मिक्स कर लें। जब यह एकसार और चिकना हो जाए तो इसकी 14-15 गोली बनाएं। 
 
अब एक बर्तन में शक्कर-पानी मिलाकर मध्यम आंच पर 5-10 मिनट उबालें। इसमें छेने की गोली डालें और आधा घंटा तक उबालें। इस दौरान उबलते पानी को चम्मच से रसगुल्लों पर डालती रहे ताकि चाशनी गाढ़ी न होने पाएं। रसगुल्ले जब चाशनी वाले पानी में पूरी तरह ऊपर आ जाए तब आंच बंद कर दें। ठंडे होने पर फ्रिज में रखें। बाउल में सजाएं और पेश करें।
 

 
पूरनपोली  
 
सामग्री  : 
 
200 ग्राम चने की दाल, 300 ग्राम आटा, 300 ग्राम शकर, 300 ग्राम शुद्ध घी, 6-7 पिसी हुई इलायची, 2 ग्राम जायफल, 8-10 केसर के लच्छे। 
 
विधि : 

सबसे पहले एक प्रेशर कुकर में चने की दाल को अच्छी तरह से धोकर, दाल से डबल पानी लेकर कम आंच पर 30 से 35 मिनट पकने दें। 2-3 सीटी लेने के बाद गैस बंद कर दें। 
 
कुकर ठंडा होने के बाद चना दाल को स्टील की छन्नी में निकाल लें ताकि उसका सारा पानी निकल जाए। दाल जब ठंडी हो जाए, तब उसमें 300 ग्राम शकर में से 150 ग्राम शकर मिलाकर मिक्सी में पीस लें। पीसी हुई दाल के मिश्रण को एक कड़ाही में निकालकर उसमें बची हुई 150 ग्राम शकर भी मिला दें। इस प्रकार पूरी 300 ग्राम शकर भी मिला दें। 
 
अब इस मिश्रण को कम आंच पर औटाएं यानी तब तक पकाएं, जब तक पूरन की गोली न बनने लगे। जब पूरन बन जाए तब आंच से उतार लें और ठंडा करें। ऊपर से जायफल, इलायची, केसर डालकर मिश्रण के आवश्यकतानुसार 10-12 गोले बना लें। 
 
पूरनपोली बनाने के लिए : एक थाली में मैदे की छन्नी से छना आटा लें। उसमें 1 बड़ा चम्मच शुद्ध घी का मोयन डालकर रोटी के आटे जैसा गूंथ लें। इसकी छोटी-छोटी लोइयां बनाकर 1-1 लोई में 1-1 पूरन का गोला रखकर आटा लगाकर मोटी रोटी की तरह बेल लें। 
 
अब गरम तवे पर धीमी आंच पर शुद्ध घी लगाकर दोनों तरफ गुलाबी सेंक लें। इस प्रकार सभी पूरन पोली बना लें। पूरन पोली अब अच्छी ज्यादा मात्रा में घी लगाकर कढ़ी या आमटी के साथ परोसें।


मालपुए
 
सामग्री : 
5 बड़े चम्मच मैदा, 5 बड़े चम्मच मिल्क पावडर, 4 चम्मच रवा, 5 हरी इलायची, 250 ग्राम चीनी, 2 कप दूध, तलने के लिए घी। 
 
विधि : 
सर्वप्रथम चीनी के अलावा बाकी सारी सामग्री को दूध के साथ मिलाकर गाढ़ा घोल बना लें। इसे 3-4 घंटे तक रखे रहें। एक कड़ाही में घी गर्म करके एक बड़ा चम्मच घोल डालकर मंदी आंच पर बादामी रंग होने तक तलें। 
 
चीनी की चाशनी बना लें और तला हुआ मालपुआ चाशनी में डाल दें। इस तरह से सभी मालपुए तलकर चाशनी में डालते जाएं। ऊपर से सूखे मेवे व वर्क की कतरन डालकर शाही मालपुए सर्व करें।
 

 
सादी पूरी 
 
सामग्री  :
 
200 ग्राम गेहूं का आटा, आधा चम्मच शकर, थोड़ा-सा नमक और तेल अथवा घी। 
 
विधि : 
 
आटे और नमक को साथ में छान लें, उसमें छोटा आधा चम्मच शकर डालें। एक बड़ा चम्मच घी अथवा तेल का मोयन मिलाएं। 
 
पानी के साथ आटे के टाइट गूंथ लें। अपनी पसंद के अनुसार आटे की गोलियां बना लें। पूरी बेलकर गरम तेल में कुरकुरी तल लें। अब इन्हें पेश करें। 


मेवे की शाही खीर 
 
सामग्री : 
 
एक लीटर दूध, दो कटोरी मखाने, चार चम्मच शकर, दो चम्मच घी, बादाम-काजू की कतरन, किशमिश, पाव कटोरी बूरा (सूखा नारियल का), इलायची पावडर आधा चम्मच और 5-6 केसर के लच्छे, दूध में भिगोएं हुए।
 
विधि : 
 
सबसे पहले एक कड़ाही में घी गरम करके मखानों को भून लें। तत्पश्चात भूनें मखानों को प्लेट में निकाल कर ठंडे होने दें, फिर उसे कूट लें।
 
अब दूध को उबलने दें, जब दूध उबल जाए तो उसमें कूटे मखाने डालकर पकाएं और शकर डाल दें। इसे गाढ़ा होने तक पकाएं। अब इसमें काजू-बादाम की कतरन, नारियल का बूरा, किशमिश, इलायची और केसर को घोंट कर डालें और डालकर सर्व करें।
 

 
रसमलाई
 
सामग्री :
 
कवर के लिए आटा 250 ग्राम, घी 1 बड़ा चम्मच, पिसी शक्कर 50 ग्राम, इलायची पावडर 1 छोटा चम्मच। भरावन के लिए : बारीक कटी मेवा 1 छोटी कटोरी। रबड़ी के लिए : फूल क्रीम दूध 2 लीटर, शक्कर 2 टेबल स्पून, केसर के धागे 3, सजाने के लिए पिस्ता कतरन 1 चम्मच, बादाम 8-10।
 
विधि : 
 
सबसे पहले आटे को घी में गुलाबी भूनकर शक्कर और 1 गिलास पानी डालकर गाढ़ा हलवा तैयार करें। दूध को शक्कर और केसर के धागे डालकर आधा रहने तक उबालें। इसे ठंडा होने दें। एक बड़ा चम्मच हलवा लेकर हथेली पर फैलाएं और इसके अंदर एक चम्मच मेवा रखकर चारों ओर से बंद करके हाथ से हल्का-सा चपटा करें।
 
गरम तवे पर एक चम्मच घी लगाकर दोनों ओर सुनहरा होने तक सेकें। इन्हें गरम-गरम ही तैयार रबड़ी में डालें। ऊपर से मेवे की कतरन से सजाकर पेश करें।


ALSO READ: श्राद्ध पक्ष में इस खीर से लगाएं पितृ को भोग, प्रसन्न होकर देंगे खुशहाली का वरदान

सम्बंधित जानकारी

Show comments

सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है आंवला और शहद, जानें 7 फायदे

थकान भरे दिन के बाद लगता है बुखार जैसा तो जानें इसके कारण और बचाव

गर्मियों में करें ये 5 आसान एक्सरसाइज, तेजी से घटेगा वजन

वजन कम करने के लिए बहुत फायदेमंद है ब्राउन राइस, जानें 5 बेहतरीन फायदे

गर्मियों में पहनने के लिए बेहतरीन हैं ये 5 फैब्रिक, जानें इनके फायदे

फ़िरदौस ख़ान को मिला बेस्ट वालंटियर अवॉर्ड

01 मई: महाराष्ट्र एवं गुजरात स्थापना दिवस, जानें इस दिन के बारे में

चित्रकार और कहानीकार प्रभु जोशी के स्मृति दिवस पर लघुकथा पाठ

गर्मियों की शानदार रेसिपी: कैसे बनाएं कैरी का खट्‍टा-मीठा पना, जानें 5 सेहत फायदे

Labour Day 2024 : 1 मई को क्यों मनाया जाता है मजदूर दिवस?

अगला लेख