Indian woman gold reserve: भारतीय संस्कृति में सोने का एक विशेष स्थान है। यह केवल एक धातु नहीं, बल्कि धन, सुरक्षा और सामाजिक प्रतिष्ठा का प्रतीक है। खासकर, भारतीय महिलाओं के लिए सोना केवल आभूषण नहीं, बल्कि एक महत्वपूर्ण वित्तीय संपत्ति है, जो उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बनाती है। हाल ही में, सीए नितिन कौशिक ने 'एक्स' पर एक पोस्ट के माध्यम से इस विशाल संपत्ति पर प्रकाश डाला है। उन्होंने बताया कि भारतीय घरों में लगभग 25,000 टन सोना है, जो दुनिया के कई देशों के सोने के भंडार से भी कहीं अधिक है।
सोने की कीमत और तुलना
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (WGC) और कई विशेषज्ञों के अनुमान के अनुसार, भारतीय घरों और मंदिरों में कुल मिलाकर करीब 25,000 टन सोना है। वर्तमान बाजार मूल्य के हिसाब से इसकी कीमत 2.3 से 2.4 ट्रिलियन डॉलर से भी ज्यादा है। यह आंकड़ा इतना बड़ा है कि इसकी तुलना कई देशों की अर्थव्यवस्था से की जा सकती है। यह पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था से लगभग 6 गुना ज्यादा है। यह कई विकसित देशों की कुल जीडीपी से भी बड़ा है, जो भारतीय महिलाओं की बचत और निवेश की शक्ति को दर्शाता है।
दुनिया के सबसे बड़े सोने के भंडार से भी ज्यादा
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि भारतीय घरों में मौजूद यह निजी सोने की संपत्ति अमेरिका, जर्मनी, इटली, फ्रांस और रूस के कुल सोने के आधिकारिक भंडार से भी ज्यादा है। उदाहरण के लिए, अमेरिका के पास 8,133 टन और जर्मनी के पास 3,355 टन सोना है, जबकि भारत के पास आधिकारिक तौर पर सिर्फ 800 टन सोना है। इसका मतलब है कि भारत की कुल सोने की संपत्ति का अधिकांश हिस्सा निजी हाथों में है, और इसमें भारतीय महिलाओं का योगदान सबसे अधिक है।
क्यों है सोना इतना महत्वपूर्ण?
भारतीय परिवारों में सोना खरीदने के पीछे कई कारण हैं। इसे अक्सर 'संकटकालीन निधि' माना जाता है, जिसका उपयोग आपातकाल में किया जा सकता है। इसके अलावा, यह एक स्थिर निवेश भी है, जिसकी कीमत समय के साथ बढ़ती है। भारतीय शादियों और त्योहारों में भी सोने का लेन-देन एक महत्वपूर्ण परंपरा है। यह महिलाओं के लिए एक 'स्त्री-धन' है, जिस पर उनका कानूनी अधिकार होता है।