Ravidas jayanti 2025: गुरु रविदास जयन्ती कब है, जानिए उनके बारे में 5 रोचक बातें

WD Feature Desk
सोमवार, 10 फ़रवरी 2025 (12:59 IST)
प्रतिवर्ष माघ माह की पूर्णिमा के दिन गुरु रविदासजी की जयंती रहती है। इस बार अंग्रेजी कैंलेंडर के अनुसार 12 फरवरी 2025 बुधवार को यह जयंती मनाई जाएगी। संत रविदास का जन्म माघ पूर्णिमा को 1376 ईस्वी को हुआ था। उनका जन्म उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर के गोबर्धनपुर गांव में हुआ था। श्रीराम भक्त रविदासजी चर्मकार कुल से होने के कारण वे जूते बनाते थे। ऐसा करने में उन्हें बहुत खुशी मिलती थी और वे पूरी लगन तथा परिश्रम से अपना कार्य करते थे।ALSO READ: भगवान विश्वकर्मा की जयंती पर जानें महत्व, पूजा विधि, मुहूर्त और मंत्र
 
क्यों मनाते हैं रविदास जयंती : संत रविदास एक महान आध्यात्मिक गुरु थे। उनके काल में उनके हजारों शिष्य थे और आज उनके लाखों अनुयायी हैं। उनके अनुयायी पवित्र नदियों में स्नान कर उन्हें याद करते हैं। इसके बाद वे उनके जीवन से जुड़ी महान घटनाओं और चमत्कारों को याद करके उनसे प्रेरणा लेते हैं। इसी के साथ समाज में एकाता कायम रहे और लोग ऊंची नीच को भूलकर एक रहे इसीलिए इसके भक्त उनके जन्म स्थान और समाधि स्थल पर एकत्रित होकर उनका जन्मोत्सव मनाते हैं।
 
1. संत रविदास के गुरु रामानंद: संत रविदासजी बचपन में ही भक्ति में लीन रहते थे। कहते हैं कि उनकी प्रतिभा को जानकर स्वामी रानानंद ने उन्हें अपना शिष्य बनाया। स्वामी रामानंदाचार्य वैष्णव भक्तिधारा के महान संत थे। संत कबीर, संत पीपा, संत धन्ना और संत रविदास उनके शिष्य थे। संत रविदास तो संत कबीर के समकालीन व गुरुभाई माने जाते हैं। स्वयं कबीरदास जी ने 'संतन में रविदास' कहकर इन्हें मान्यता दी है।  
 
2. मीराबाई थीं उनकी शिष्या: राजस्थान की कृष्णभक्त कवयित्री मीराबाई की रविदास से मुलाकात का कोई आधिकारिक विवरण तो नहीं मिलता है, लेकिन कहते हैं मीरा के गुरु रविदासजी ही थे। कहते हैं संत रविदास ने कई बार मीराबाई की जान बचाई थी।
 
मीराबाई के एक पद से उनके गुरु का पता चलता है:-
‘गुरु मिलिआ संत गुरु रविदास जी, दीन्ही ज्ञान की गुटकी.’
‘मीरा सत गुरु देव की करै वंदा आस.
जिन चेतन आतम कहया धन भगवन रैदास..’
 
3. कैसे पड़ा नाम रविदास: कहते हैं कि माघ मास की पूर्णिमा को जब रविदास जी ने जन्म लिया वह रविवार का दिन था जिसके कारण इनका नाम रविदास रखा गया। रविदाजी को पंजाब में रविदास कहा। उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश और राजस्थान में उन्हें रैदास के नाम से ही जाना जाता है। गुजरात और महाराष्ट्र के लोग ‘रोहिदास’ और बंगाल के लोग उन्हें ‘रुइदास’ कहते हैं। कई पुरानी पांडुलिपियों में उन्हें रायादास, रेदास, रेमदास और रौदास के नाम से भी जाना गया है। 
 
4. गुरु ग्रंथ में शामिल पद: संत रविदास ने अपनी कविताओं के लिए जनसाधारण की ब्रजभाषा का प्रयोग किया है। साथ ही इसमें अवधी, राजस्थानी, खड़ी बोली और रेख्ता यानी उर्दू-फारसी के शब्दों का भी मिश्रण है। रविदासजी के लगभग चालीस पद सिख धर्म के पवित्र धर्मग्रंथ 'गुरुग्रंथ साहब' में भी सम्मिलित किए गए है।
 
5. संत रविदास का मंदिर: वाराणसी में संत रविदास का भव्य मंदिर और मठ है। जहां सभी जाति के लोग दर्शन करने के लिए आते हैं। वाराणसी में श्री गुरु रविदास पार्क है जो नगवा में उनके यादगार के रुप में बनाया गया है जो उनके नाम पर 'गुरु रविदास स्मारक और पार्क' बना है।

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