चीन का महान दार्शनिक कंफ्यूशियस

अनिरुद्ध जोशी
चीन के महान दार्शनिक और विचारक कंफ्यूशियस (confucius) का जन्म 551 ईसा पूर्व (28 अगस्त या सितंबर) को चीन के पूर्वी प्रांत शानडोंग (शान तुंग) के क्यूफू (छ्वी फु) शहर में हुआ था। यह वर्ष उनकी 2,561वीं जयंती का वर्ष है। 
 
भारत में उस काल में भगवान महावीर और बुद्ध के विचारों का जोर था। महावीर की तरह ही कंफ्यूशियस ने राजनीति में ज्यादा रुचि दिखाई। कंफ्यूशियस को एक राजनीतिज्ञ विचारक से ज्यादा एक धार्मिक विचारक भी माना गया।
 
ओशो कहते हैं कि कंफ्यूशियस के नीतिवादी विचार अधिक प्रभावी सिद्ध हुए। समय के थोड़े से अंतर में कंफ्यूशियस- लाओत्से तुंग, सुकरात, महावीर और बुद्ध के समकालीन थे।
 
कंफ्यूशियस ने ऐसे समय जन्म लिया जबकि चीन की शक्ति बिखर गई थी और उस समय कमजोर झोऊ राजवंश का आधिपत्य था। उस दौर में कंफ्यूशियस के दार्शनिक विचारों के साथ ही उनके राजनीतिक और नैतिक विचारों ने चीन के लोगों पर अच्छा- खासा प्रभाव डाला। इसी के चलते उन्होंने कुछ वक्त राजनीति में भी गुजारा। दरअसल कंफ्यूशियस एक सुधारक थे।
 
कंफ्यूशियस ने स्व:अनुशासन, बेहतर जीवनचर्या और परिवार में सामंजस्य पर जोर दिया था। उनकी शिक्षाओं का आज भी चीन के कुछ लोग पालन करते हैं। इस दार्शनिक के नाम से चीन की सरकार एक शांति पुरस्कार भी प्रदान करती है।
 
कंफ्यूशियस के शहर में आज भी उनका स्मारक, मंदिर और भवन समेत कई प्राचीन इमारते हैं। यह चीन की सांस्कृतिक धरोहर है, जिसे यूनेस्को ने विश्व धरोहर की लिस्ट में शामिल किया है।

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