महर्षि महेश योगी की जयंती, जानें 15 खास बातें

WD Feature Desk
HIGHLIGHTS
• महेश योगी ने अपने वैदिक ज्ञान से विश्व को आलौकित किया।
• उन्हें आध्यात्मिक एवं योग गुरु कहा जाता है।
• म​​हर्षि महेश योगी ने शंकराचार्य स्वामी ब्रह्मानंद सरस्वती से शिक्षा ग्रहण की थी। 
 
Mahesh Yogi Jayanti 2024: महेश प्रसाद श्रीवास्तव या महर्षि महेश योगी का छत्तीसगढ़ के राजिम शहर के पास स्थित पांडुका गांव में जन्म 12 जनवरी 1918 को हुआ था। अत: हर साल 12 जनवरी को महर्षि योगी जयंती के रूप में मनाया जाता है। महर्षि योगी का वास्तवित नाम महेश प्रसाद श्रीवास्तव था। 
 
आइए जानते हैं यहां उनके बारे में- 

1. महेश योगी के पिता का नाम रामप्रसाद श्रीवास्तव था, जो कि राजस्व विभाग में कार्यरत थे। नौकरी के सिलसिले में उनका तबादला जबलपुर हो गया। लिहाजा पूरा परिवार गोसलपुर में रहने लगा। 
 
2. उनका प्रारंभिक बचपन यहीं बीता। उन्हें यहां की प्रकृति बहुत पसंद थी। यहां के हितकारिणी स्कूल से मैट्रिक उत्तीर्ण करने के बाद उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से बीएससी की उपाधि ली और साथ ही गन कैरिज फैक्टरी में उच्च श्रेणी लिपिक के पद पर उनकी नियुक्ति हो गई। 
 
3. फैक्टरी की छोटी-सी नौकरी से लेकर विश्वविख्यात महर्षि बनने तक की यात्रा में कई रोचक पड़ाव भी आए। जब एक दिन वे साइकिल से बड़े भाई के घर की तरफ जा रहे थे, तभी उनके कानों में सुमधुर प्रवचन सुनाई पड़े। सम्मोहक बोल सुनते ही वे साइकिल को एक तरफ पटक कर वहां खिंचे चले गए। 
 
4. उन्होंने जैसे ही स्वामी ब्रह्मानंद सरस्वती को देखा और सुना तो वे अपनी सुध-बुध खो बैठे। उसी क्षण उनके मन में वैराग्य जागृत हो गया। उसके बाद योगी फिर कभी घर नहीं गए। उनके लिए पूरा विश्व एक परिवार की तरह हो गया।
 
5. अपने गुरु स्वामी ब्रह्मानंद सरस्वती से आध्यात्म साधना ग्रहण कर भावातीत ध्यान की अलख जगाने के लिए महर्षि विश्व भ्रमण पर निकल पड़े। इस दौरान उन्होंने करीब सौ से अधिक देशों की यात्रा की।
 
6. महर्षि योगी ने भावातीत ध्यान के माध्यम से पूरी दुनिया को वैदिक वांग्मय की संपन्नता की सहज अनुभूति कराई। नालंदा व तक्षशिला के अकादमिक वैभव को साकार करते हुए विद्यालय, महाविद्यालय व विश्वविद्यालय की सुपरंपरा को गति दी। 
 
7. योगी जी द्वारा प्रणीत भावातीत ध्यान एक विशिष्ठ व अनोखी शैली है, जो चेतना के निरंतर विकास को प्राप्त करने का मार्ग दिखाती है। योगी ने भारतीय संस्कृति के संदेशवाहक, आध्यात्मिक महापुरुष, विश्व बंधुत्व और आधुनिकता व संसार के महान समन्वयक होने का गौरव हासिल किया। 
 
8. नर्मदा के तट पर बसी ऋषि जाबालि की पवित्र नगरी जबलपुर से भावातीत उड़ान भरने वाली इस दिव्य विभूति ने अपने वैदिक ज्ञान से संपूर्ण विश्व को आलौकित किया।
 
9. महर्षि योगी ने वैदिक ज्ञान से संपूर्ण विश्व को आलौकित किया और उनके हृदयग्राही सरस प्रवचनों ने हिन्दुस्तान के जबलपुर से लेकर हॉलैण्ड तक कई शहरों के श्रोताओं को सम्मोहित किेया।
 
10. शंकराचार्य स्वामी ब्रह्मानंद सन् 1953 में ब्रह्मलीन हुए, जब वाराणसी के दशमेश घाट पर जल समाधि देने लगे तब शोकाकुल गुरुभक्त महेश ने भी गंगा में छलांग लगा दी। फिर काफी मशक्कत के बाद गोताखोरों ने उन्हें किसी तरह बाहर निकाला। 
 
11. कहा जाता है कि सन् 2008 की 11 जनवरी को महर्षि योगी ने अपने रिटायरमेंट की घोषणा कर दी थी ये कहते हुए कि उनका काम पूरा हो गया है और उनका गुरु के प्रति जो कर्तव्य था वो पूरा हो गया है। 
 
12. 5 फरवरी 2008 को महाशून्य में निलय हुए महर्षि महेश योगी ने कहा- 'मेरे न होने से कुछ नुकसान नहीं होगा। मैं नहीं होकर और भी ज्यादा प्रगाढ़ हो जाऊंगा...' उनके इन शब्दों से महर्षि पहले से अधिक प्रासंगिक और ज्यादा प्रगाढ़ हो गए थे। 
 
13. योग और ध्यान के आध्यात्मिक गुरु महर्षि महेश योगी का नीदरलैंड्स स्थित अपने घर में 5 फरवरी 2008 को 91 वर्ष की आयु में निधन हो गया था। 
 
14. दिव्य विभूति महेश प्रसाद ने महर्षि महेश योगी बनकर संपूर्ण दुनिया को शांति और सदाचार की शिक्षा दी और विश्व भर में भारत का नाम रोशन किया। इस महापुरुष का व्यक्तित्व हमेशा अजर-अमर है और रहेगा।
 
15. विश्व को वैदिक ज्ञान से आलौकित करने वाले महान आध्यात्मिक तथा योग गुरु म​​हर्षि महेश योगी जी की जयंती पर उन्हें कोटि-कोटि नमन।

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